सतीश बतरा
संत नगर। आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले कानपुर के कुख्यात गुंडे विकास दुबे के बायोपिक पर बन रही फिल्म समाज के लिए घातक सिद्ध होगी क्योंकि इस फिल्म को देखने के बाद यंगस्टर के मन-मस्तिक में गलत संदेश जाएगा। वह अच्छा इंसान बनने की बजाय गैंगस्टर के रूप में रहना अपनी शान समझेंगे। फिल्म प्रोड्यूसर की यह सोच होगी कि कुख्यात डकैत फूलन देवी पर बनी बैंडिट क्वीन की तरह विकास दुबे पर फिल्म बनाकर मोटी कमाई होने के साथ उसकी गिनती हिट फिल्म निर्माताओं में हो जाएगी। इस फिल्म को बनाने वाले प्रोड्यूसर की सोच चाहे सच हो या मनगढ़ंत! लेकिन फिल्म पर्दे पर रिलीज होने से पूर्व ही बुद्धिजीवी वर्ग के निशाने पर है। बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि गुंडों पर फिल्में बनाकर हम समाज का सत्यानाश कर रहे हैं ऐसी फिल्मों का बहिष्कार होना चाहिए तथा सेंसर बोर्ड को भी ऐसी फिल्म पर आपत्ति लगाने चाहिए।
लगता है सचमुच कलयुग आ गया है
बड़े बुज़ुर्ग हमेशा कहते हैं कि कलयुग का समय आ गया है, कलयुग का सीधा परिचय इस फि़ल्म के ट्रेलर को देखकर लग रहा है।एक गैंगस्टर, जिसने क़ानून के रक्षा करने वाले पुलिस वालों की निर्मम हत्या की, उसे फि़ल्म में हीरो बनाकर दिखाया जा रहा है।ऐसी फि़ल्मों का सामूहिक बहिष्कार होना चाहिए।
आनंद सबधाणी, शिक्षाविद
फिल्म निर्माता व सेंसर बोर्ड चिंतन करें
ये सच है की समाज मे व्याप्त बुराईयो को फिल्म के माध्यम से दिखाया जाता है परन्तु उस फिल्म का समाज पर दुष्प्रभाव न पडे इस बात की चिन्ता फिल्म निर्माता ओर सेंसर बोर्ड को करना चाहिए।
प्रकाश मीरचंदानी, प्रवक्ता मध्य प्रदेश भाजपा
ऐसी फिल्मों का बहिष्कार होना चाहिए
गुंडों को हीरो बना कर निर्माता जो भी फिल्म पर्दे पर रिलीज करें उसका जनता को बहिष्कार करना चाहिए क्योंकि ऐसी फिल्मों से समाज में गलत संदेश भी जाता है।
जगदीश आसवानी, समाजसेवी संत नगर
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