– सपा अध्यक्ष ने अस्पतालों में कोरोना मरीजों से दुर्व्यवहार को लेकर सरकार पर निशाना साधा
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधानसभा के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कोरोना को लेकर सम्बोधन को लेकर पलटवार किया है।
अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि कोरोना को लेकर अपनी तथाकथित बेहतर तैयारी की तुलना अमेरिका से करते समय, उप्र के मुख्यमंत्री जी आत्मप्रशंसा के प्रवचनीय आवेग में यह भूल गये कि उन्हीं के मंत्रीमंडल के सदस्य स्व. चेतन चौहान के साथ उन्हीं के सरकारी अस्पताल में किस प्रकार दुर्व्यवहार हुआ। अति दुखद कृत्य!
दरअसल कोरोना संक्रमित होने के बाद ठीक हो चुके सपा के विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह साजन ने राजधानी लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में इलाज के दौरान अपने कड़वे अनुभव विधान परिषद में साझा किए। उन्होंने एसजीपीजीआई में भर्ती हुए राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान के साथ अस्पताल में हुए दुर्व्यवहार का जिक्र किया।
सुनील सिंह साजन ने सदन को बताया कि एसजीपीजीआई के जिस वार्ड के वह बेड नम्बर 13 पर थे, उसी में बेड नम्बर 14 पर सैनिक कल्याण व होमगार्ड मंत्री रहे चेतन चौहान भी भर्ती थे। चौहान के भर्ती होने के बाद वार्ड के दरवाजे पर पहुंची डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम ने वहीं से पूछा चेतन कौन है? इस पर मंत्री ने हाथ हिलाकर इशारा किया। चिकित्सीय टीम के एक स्टाफ ने उनसे पूछा चेतन तुम क्या करते हो? उन्होंने बताया कि मैं कैबिनेट मंत्री हूं। इस पर उनसे पूछा गया कहां के कैबिनेट मंत्री हो? जब उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के, तो इस पर भी एसजीपीजीआई की टीम ने नरमी नहीं दिखाई।
सुनील सिंह साजन ने बताया कि चिकित्सकों की टीम ने फिर चेतन चौहान से पूछा कि तुम्हारे घर में कौन-कौन संक्रमित हैं। सुनील साजन के मुताबिक मंत्री के साथ इस तरह के दुर्व्यवहार पर वह अपने को रोक न सके और उन्होंने कहा कि यह वही चेतन चौहान हैं जो इस देश के लिए क्रिकेट भी खेल चुके हैं। यह सुनने के बाद चिकित्सकों की टीम, यह कहते हुए कि अच्छा! यह वही चेतन चौहान हैं और चिकित्सकों की टीम वापस चली गई।
हालांकि विधान परिषद में नेता सदन डॉ.दिनेश शर्मा ने कहा कि सपा सदस्य कथावाचक अच्छे हैं। उनके कथन का खंडन करने के लिए चेतन चौहान अब हम सबके बीच नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सपा सदस्य कोरोना वायरस के संक्रमण से लगातार लड़ रहे योद्धाओं को नकारा साबित करने में लगे हैं। हो सकता है कि लगातार काम करते-करते चिकित्सीय स्टाफ की वाणी में कुछ कटुता आ गई हो, लेकिन उनकी विषम परिस्थतियों का भी हमें ख्याल रखना चाहिए। (एजेंसी, हि.स.)
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