भारतीय महिलाएं सालभर में कई तरह के व्रत रखती है. इस दौरान कुछ व्रत ऐसे होते हैं, जो काफी महत्वपूर्ण होते हैं. ऐसा ही एक व्रत होता है ऋषि पंचमी का व्रत. सालभर में जितनी भी पंचमी आती हैं, उनमे यह पंचमी विशेष स्थान रखती है. इस दिन व्रत रखने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. यह व्रत महिलाएं जाने-अनजाने में हुए पापों की मुक्ति के लिए रखती है, वहीं कुंवारी कन्याएं भी यह व्रत रखती है.
महिलाओं के लिए आवश्यक क्यों ऋषि पंचमी का व्रत ?
ऋषि पंचमी व्रत का महिलाओं के लिए बहुत महत्व है. इसे ख़ास तौर से महिलाएं ही रखती है. यदि महिलाओं से मासिक धर्म के दौरान किसी भी तरह की ऐसी गलती हुई है जो कि धार्मिक दृष्टि से उचित नहीं हैं तो महिलाओं को इसका दोष लगता है और दोष से मुक्ति के लिए महिलाएं ये व्रत रखती है या महिलाओं के गलती से मुक्ति के लिए यह व्रत रखना चाहिए. जब महिलाएं मासिक धर्म से गुजर रही होती है, तो उन्हें अपवित्र माना जाता है. ऐसे में महिलाओं को कई तरह के नियमों से गुजरना होता है, हालांकि कभी-कभी जाने-अनजाने में महिलाओं से इस दौरान गलती हो जाती है. ऐसे में महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत रखकर इस दोष से निजात पा सकती है.
कब रखा जाता है ऋषि पंचमी का व्रत, किसकी होती है पूजा ?
ऋषि पंचमी का व्रत या विशेष अवसर भादो माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन आता है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर सप्तऋषि का पूजन करती है. इस दिन किसी देवी-देवता का पूजन नहीं होता है. जिन सात ऋषियों का पूजन होता है, उन्हें ऋषि वशिष्ठ जी, ऋषि जमदग्नि जी, ऋषि अत्रि जी, ऋषि विश्वामित्र जी, ऋषि कण्व जी, ऋषि भारद्वाज जी और ऋषि वामदेव के नाम से जाना जाता है.
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