नई दिल्ली (New Dehli)। अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर (Ram Janmabhoomi Complex)में कुबेर टीला आकर्षण का केंद्र (center of attraction)बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)भी मंगलवार को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala’s life prestige)के बाद यहां जाने वाले हैं। कांस्य की बनी जटायु की यह 30 फीट ऊंची प्रतिमा है जिसे कुबेर टीला नाम दिया गया है। इसे नोएडा की एक वर्कशॉप में तैयार किया गया है। जाने-माने मूर्तिकार राम वांजी सूरत ने इसे बनाया है। वह 98 साल के हैं मगर अभी उनकी नक्काशी जारी है। उनके पास अभी एक और काम जिसमें वो लगे हुए हैं।
राम मंदिर के लिए महापूजा शुरू, राजाधिराज रूप में आज राम का प्रवेश
251 मीटर लंबी भगवान राम की प्रतिमा बनाई जा रही है जिसे सरयू नदी के किनारे लगाया जाएगा। स्थापित हो जाने के बाद यह यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति होगी। गुजरात में लगी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 182 मीटर ऊंची है और सबसे बड़ी प्रतिमा का रिकॉर्ड अभी इसी के पास है। मालूम हो कि इस मूर्ति को भी राम सूरत और उनके बेटे अनिल ने तैयार किया था। जाहिर है कि भक्तों की नजर अब जटायु टीला पर टिकी है और इसके बाद भगवान राम की भव्य प्रतिमा सबका ध्यान खींचेगी।
जटायु टीला तैयार करने के मिले थे 2 विकल्प
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से राम सूरत और अनिल को जटायु टीला तैयार करने का काम सौंपा गया। इसके लिए इन्हें 2 विकल्प दिए गए थे। पहला यह था कि इस पैराणिक पक्षी को आक्रामक मोड में दिखाया जाए और दूसरा यह रहा कि वो उड़ते हुए नजर आए। 65 साल के अनिल ने बताया, ‘मंदिर ट्रस्ट को फ्लाइंग मोड पसंद आया। भगवान राम की मूर्ति को लेकर हमने 3 डिजाइन पेश किए। इनमें से एक में राम को अयोध्या के राजा के तौर पर दिखाया गया था जो उन्हें पसंद आई।’
राम मंदिर गर्भगृह में रखी गई रामलला की प्रतिमा
बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले भगवान राम की नई मूर्ति गुरुवार की दोपहर राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में रखी गई। मैसूर स्थित मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई 51 इंच की रामलला की मूर्ति को ट्रक से यहां लाया गया था। मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय ने कहा था कि मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से और निकास दक्षिण दिशा से होगा और संपूर्ण मंदिर अधिरचना अंततः तीन मंजिला होगी। मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए पर्यटक पूर्वी दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़ेंगे। पारंपरिक नागर शैली में निर्मित मंदिर परिसर 380 फीट लंबा, 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा।
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