नई दिल्ली। मंकीपॉक्स (Monkeypox) को लेकर अब चिकित्सीय अध्ययन (clinical studies) भी सामने आने लगे हैं। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में 98 फीसदी मंकीपॉक्स संक्रमित मरीज (98% monkeypox infected patients) समलैंगिक या फिर उभयलिंगी (gay or bisexual) मिले। इस साल 27 अप्रैल से 24 जून के बीच मंकीपॉक्स से संक्रमित मिले मरीजों में से अध्ययन में 528 रोगियों को शामिल किया गया।
अध्ययन के दौरान 16 देशों के 43 शहरों के निवासी इन रोगियों के चिकित्सीय रिकॉर्ड का जब विश्लेषण किया गया तो पता चला कि मंकीपॉक्स संक्रमण वाले 98 फीसदी लोग समलैंगिक या उभयलिंगी पुरुष थे। इनकी औसतन आयु 38 वर्ष है। इसके अलावा, करीब 95 फीसदी लोग यौन संबंधों के दौरान एक दूसरे से संक्रमित हुए। हालांकि विशेषज्ञों ने अध्ययन में साफ तौर पर कहा है कि इससे समलैंगिक समुदाय के खिलाफ गलत भावना नहीं आनी चाहिए। यह एक स्थिति है जो किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है।
अध्ययन में यह भी पता चला है कि मंकीपॉक्स संक्रमित सभी मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करने की जरूरत नहीं है। करीब 13 फीसदी रोगियों को भर्ती करना पड़ा था जिनमें चकत्ते, बुखार, सुस्ती, मायलागिया सिरदर्द और लिम्फ नोड्स की सूजन इत्यादि लक्षण दिखाई दे रहे हैं।मंकीपॉक्स डीएनए वायरस है और 32 में से 29 संक्रमित रोगियों के वीर्य द्रव जांच में यह मिला है।
शोधार्थियों के अनुसार, मंकीपॉक्स विभिन्न प्रकार के त्वचा विज्ञान से संबंधित संक्रमण है। बीते कुछ समय से संक्रमण के मामले उन क्षेत्रों से बाहर मिल रहे हैं जहां मंकीपॉक्स पारंपरिक रूप से स्थानिक रहा है। इसके सामुदायिक प्रसार को रोकने के लिए मरीजों की समय पर पहचान, निगरानी और उपचार पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
मध्य व पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में ज्यादा मिलता है प्रकोप
मंकीपॉक्स, एक दुर्लभ वायरल बीमारी है जो मुख्य रूप से मध्य व पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में पाई जाती है। अधिकांश संक्रमित रोगी पुरुष हैं। डब्ल्यूएचओ का मानना है कि पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में यह संक्रमण तेजी से फैल रहा है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स की वजह से समलैंगिक लोगों के खिलाफ भेदभाव न रखने की अपील भी की है। इन्हें कलंकित किया जा सकता है या फिर मंकीपॉक्स बीमारी का कारण माना जा सकता है जो कि किसी भी स्थिति में उचित नहीं है।
डब्ल्यूएचओ : मंकीपॉक्स के महामारी घोषित होने पर फैसला नहीं
मंकीपॉक्स के महामारी घोषित होने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अब तक फैसला नहीं लिया है। हालांकि संक्रमण के प्रसार के मद्देनजर स्वास्थ्य प्रभावों का आकलन करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स आपातकालीन समिति का पुनर्गठन किया है। दुनियाभर में अब तक मंकीपॉक्स के 14 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
बीते सप्ताह छह और देशों में भी मंकीपॉक्स के मामले सामने आना शुरू हो गए। हाल ही में डब्ल्यूएचओ की मंकीपॉक्स आपातकालीन समिति की पहली बैठक हुई थी, इसमें संक्रमण को वैश्विक महामारी नहीं माना गया। बृहस्पतिवार को हुई बैठक के दौरान डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस ने समिति का पुनर्गठन कर सदस्यों से कहा, जिस तरह से मंकीपॉक्स का प्रसार बढ़ रहा है, उसेदेखते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों को समझना बहुत जरूरी है।
मंकीपॉक्स, एक दुर्लभ वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से मध्य व पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय, वर्षावन क्षेत्रों में पाई जाती है। इसके अधिकांश संक्रमित रोगी पुरुष हैं। डब्ल्यूएचओ का मानना है कि समलैंगिक पुरुषों में यह संक्रमण तेजी से फैल रहा है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स की वजह से समलैंगिक लोगों के खिलाफ भेदभाव न रखने की अपील भी की है।
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