पटना (Patna) । बिहार (Bihar) में 99 फीसदी महिलाएं (Women) शराबबंदी (stopped drinking) के पक्ष में हैं। यही नहीं 92 फीसदी पुरूष (man) भी शराबबंदी के साथ खड़े हैं। चाणक्य लॉ विश्वविद्यालय और जीविका (Chanakya National Law University) के सर्वे में यह खुलासा हुआ है। मद्य निषेध, उत्पाद और निबंधन विभाग के तत्वावधान में हुए इस सर्वे में शराबबंदी के सात वर्षों में इसके प्रभाव का पूरे प्रदेश में विस्तार से सर्वे किया गया। साथ ही, इसको लेकर आम आदमी की प्रतिक्रिया भी रिकार्ड की गयी है। सर्वे का नतीजा बता रहा है कि सूबे के आम लोगों ने शराबबंदी को न केवल सकारात्मक रूप में लिया है, बल्कि इसका खुलकर समर्थन किया है। जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी राहुल कुमार, उत्पाद आयुक्त सह निबंधन महानिरीक्षक बी. कार्तिकेय धनजी, चाणक्य लॉ विश्वविद्यालय के डीन एस.पी. सिंह, मद्य निषेध एवं उत्पाद उपायुक्त कृष्ण कुमार ने सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी किया।
सर्वे में 98 फीसदी पंचायतों और 90 फीसदी गांवों तक पहुंची टीम
इस साल सर्वे का दायरा और विस्तारित किया गया था। गत वर्ष केवल चार हजार लोगों से बातचीत के आधार पर सैम्पल सर्वे किया गया था। इस साल 10 लाख 22 हजार 467 लोगों से बातचीत करके रिपोर्ट तैयार की गयी है। सर्वेक्षण के लिए राज्य के सभी जिलों और सभी प्रखंडों को आधार बनाया गया। इसके लिए 1.15 लाख जीविका समूह में से 10 हजार लोगों का चयन किया गया था। इन लोगों ने 98 फीसदी पंचायतों और 90 फीसदी गांवों में लोगों के बीच जाकर सर्वे किया। इस दौरान उन्होंने 7968 पंचायतों लगभग 33 हजार गांवों के लोगों से संपर्क किया।
7 साल में 1.82 करोड़ लोगों ने छोड़ी शराब
सर्वेक्षण रिपोर्ट की सबसे अहम बात तो यह है कि पिछले सात वर्षों में 1 करोड़ 82 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ा। ये पहले शराब का सेवन करते थे, लेकिन शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद उन्होंने शराब छोड़ दी। यही नहीं सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आयी कि जो लोग शराबबंदी के पहले शराब पीते थे, उनमें से 96 फीसदी लोगों ने बाद में शराब छोड़ दी। ये अब शराब का सेवन नहीं करते हैं।
सभी जिलों में प्रवेश मार्गों पर सख्त चौकसी
जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि शराबबंदी कानून को लेकर हर स्तर पर सख्ती भी बरती जा रही है। इसके लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में सघन चौकसी की जा रही है। पहले केवल 15 चेकपोस्ट थे, आज 80 हो गए हैं। इन चेक पोस्टों के माध्यम से सभी जिलों की सड़कों की निगरानी की जा रही है। शराब के अवैध प्रवेश को लेकर हम पूरे प्रदेश में कड़ी निगरानी कर रहे हैं।
2016 से राज्य में लागू हुई थी शराबबंदी
शराबबंदी के बमुश्किल एक साल बाद, 2017 में तीन डॉक्टरों की एक टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला था। कि लगभग 64% आदतन शराब पीने वालों ने प्रतिबंध के बाद शराब लेना बंद कर दिया था, जबकि 25% से अधिक ताड़ी जैसे अन्य पदार्थों का सेवन करने लगे थे। , गांजा (मारिजुआना), चरस आदि, जबकि कई अभी भी अवैध रूप से आस-पास के इलाके या पड़ोसी जिलों से शराब प्राप्त कर रहे थे।आपको बता दें नीतीश कुमार ने 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले महिलाओं के एक समूह से किए गए वादे का हवाला देते हुए अप्रैल 2016 में राज्य में शराबबंदी लागू कर दी थी।
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