डेस्क: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. 230 विधानसभा सीटों पर कुल 3832 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र जमा किए हैं. लेकिन जब इन पत्रों की जांच की गई तो इनमें से 916 प्रत्याशियों के नामांकन अमान्य पाए गए हैं. ये नामांकन इसलिए निरस्त किए गए है क्यों की इन प्रत्याशियों ने गलत जानकारी अपने पत्र में दी थी. किसी प्रत्याशी ने गलत जानकारी दी तो किसी ने जानकारी छुपाई.
इसके अलावा कई प्रत्याशियों के नामांकन होल्ड पर भी डाल दिए हैं. ताज्जुब की बात तो ये है की मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) के बड़े नेताओं के नामांकन पत्र (nomination letter) भी होल्ड पर है. इस लिस्ट में बीजेपी से पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा का फॉर्म भी होल्ड पर है. यह बताया गया है कि पटवा ने मुकदमे छिपाए हैं.
पटवा पर आरोप लगाया गया है की इनके खिलाफ 501 प्रकरण विचाराधीन है. मगर उन्होंने सिर्फ 167 की ही जानकारी दी है . वहीं, 6 मामलों में सजा की जानकारी दी है ,जबकि 6 माह पहले ही उन्होंने कोर्ट में उन्होंने 28 मामलों में सजा होने का शपथ पत्र दिया था . आज इस पर चुनाव आयोग (election Commission) फैसला करेगा.
उधर भाजपा प्रत्याशी शरदेंदु तिवारी ने शिकायत की है कि कांग्रेस प्रत्याशी अजय सिंह ने अपने शपथ पत्र में खुद की और पत्नी की अचल संपत्ति की जानकारी का बनावटी शपथ पत्र प्रस्तुत किया है. निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित प्रारूप का उपयोग नहीं किया गया है. उनके नामांकन फॉर्म में कुछ कॉलम भी ख़ाली रखे गए हैं.
उमा भारती के भतीजे और भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी के नामांकन पर कांग्रेस की चंदा सिंह गौर ने आपत्ति जताई है. उनके मुताबिक राहुल सिंह लोधी की विधायकी हाई कोर्ट से शून्य घोषित हुईं थी. इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट से सशर्त राहत पर हैं. ऐसे में उन्हें चुनाव का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए. चंदा ने उनका नामांकन खारिज करने की मांग की है. इसकी सुनवाई भी बुधवार सुबह 11 बजे होगी.
मध्य प्रदेश में इससे पहले भी नामांकन निरस्त हो चुके हैं . 2009 के लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज विदिशा से भाजपा उम्मीदवार थीं. कांग्रेस ने राजकुमार पटेल को उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन पटेल ने अपने नामांकन में बी फॉर्म की मूल प्रति के बजाय फोटो कॉपी सबमिट कर दी. इसके चलते उनका नामांकन निरस्त हो गया था. तब सुषमा स्वराज के खिलाफ कांग्रेस का कोई अधिकृत प्रत्याशी मैदान में नहीं था और उनके लिए वॉक ओवर जैसी स्थिति हो गई थी.
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