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आईटीआई की जमीन पर बसी कॉलोनी के 91 कब्जों की फिर होगी जांच

  • March 28, 2025

    • 12 साल से अटकी फाइल कमिश्नर ने फिर खुलवाई
    • समिति का गठन कर मौका स्थल का विस्तृत सर्वे करवाया जा रहा,शासन के पाले में अटकी है कारवाही

    इंदौर। शासकीय भूमि पर कब्जा कर बसाई गई अंबे नगर कालोनी का मामला एक फिर खुल गया। 12 साल बीत जाने के बावजूद इस भूमि पर भूखंडों के अवैध कब्जे काबिज हैं। आईटीआई की ग्राम सुखलिया की सर्वे नंबर 596 की भूमि पर अंबे नगर कॉलोनी विकसित की गई थी, जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए तत्कालीन कलेक्टर ने कालोनाइजर पर रासुका भी लगाई थी। जब जिला प्रशासन ने यहां बसे लोगों को हटाने का प्रयास किया तो यह मामला न्यायालय में गया और उच्च न्यायालय में वर्ष 2012 में दायर याचिका के दौरान जांच करवाई गई थी जिसका प्रतिवेदन वर्ष 2014 में शासन को भेजा गया। तब से आज तक यह मामला अटका ही पड़ा है 12 साल भी जाने के बावजूद भी इन भूखंडों पर अवैध कब्जे काबिज है।

    अब संभागायुक्त ने फिर जांच निर्देश दिए है। अब उक्त जमीन का मौका मुआयना कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। संभागायुक्त कार्यालय से भेजे गए पत्र के अनुसार एक समिति का गठन कर मौका स्थल का विस्तृत सर्वे करवाया जाना है और ड्रोन सर्वे भी होगा। उक्त कालोनी के सर्वे में मुख्य रूप से यह देखा जाएगा कि वहां कितने परिवार निवास कर रहे है। उनमें से कितने परिवारों द्वारा मकान बनाकर कितनी कितनी भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। उक्त मकान का निर्माण कच्चा है या पक्का यह भी देखा जाएगा।


    विस्तृत सर्वेक्षण रिर्पोट में प्रत्येक रहवासी का नाम, उनका व्यवसाय, आय, परिवार के सदस्यों की संख्या, रहवासी या उसके परिजनों की अन्य स्थान पर भूमि , आवास की उपलब्धता की जानकारी भी तैयार की जाएगी। उल्लेखनीय है कि आईटीआई की भूमि पर कब्जा होने पर प्राचार्य ने जिला प्रशासन से पत्राचार किया था, तब तात्कालिक कलेक्टर राघवेन्द्र सिंह ने नजूल अधिकारी शिलेंद्र सिंह के माध्यम से जांच शुरू की थी और तहसीलदार रही पूर्णिमा सिंगी व निधि वर्मा ने कब्जों को हटाने की कार्रवाई की थी।

    ठगोरे भूमाफिया की फिर अधिकारियों से सांठगांठ
    उक्त कॉलोनी चंद्र प्रकाश कश्यप नामक व्यक्ति द्वारा विकसित की गई थी जिस पर प्रशासन ने रासुका की कार्रवाई भी की थी। कश्यप ने शासकीय भूमि पर अवैध कॉलोनी काटकर कई लोगों को ठगा और मामला कोर्ट मे ले जाकर अटका दिया। आश्चर्य की बात यह है कि जिस भूमाफिया पर रासुका जैसी कार्रवाई की वह वर्तमान में अधिकांश तहसील में अधिकारियों के साथ बैठकर बतियाते नजर आने लगा है।

    91 लोगों को हटाने के आदेश भी दिए थे
    बताया जाता है कि उस समय मौके पर 139 भूखंड और आवास यहां पर बने हुए थे। जिला प्रशासन ने उक्त अतिक्रमण की जांच करने के बाद इनमें से 91 लोगों को हटाने के आदेश भी दिए थे। शासन ने लगभग 12 साल बीत जाने के बावजूद अभी तक कोई निर्देश नहीं दिए हैं। उपायुक्त राजस्व सपना लोवंशी ने बताया कि वर्तमान समय में मौके पर स्थिति बदल गई होगी। ऐसी स्थिति में मौका स्थल का पुन: नये सिरे से सर्वे करवाकर रिपोर्ट तैयार करवाने के लिए कलेक्टर को पत्र भेजा गया है।

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