इन्दौर। नगर निगम (municipal Corporation) के सफाईकर्मी पूरे संक्रमण (infection) काल में शहर की स्वच्छता के लिए तटस्थ रहे हैं। अपनी जान को जोखिम में डालकर भी शहर की सफाई, अस्पतालों से अपशिष्ट और श्मशान में दाह संस्कार में भी बड़ी सहभागिता दी है। इसी दौरान संक्रमण (infection) के सवा साल के दौरान कोरोना की पहली लहर में 900 कर्मचारी संक्रमित हुए थे, जिन्हें इसके बाद वैक्सीन (Vaccine) के दोनों डोज लगने के बाद दूसरी लहर में सिर्फ 100 कर्मचारी ही संक्रमित हुए हैं। यानी वैक्सीन लगाना निगमकर्मियों के लिए कारगर साबित हुआ।
इंदौर नगर निगम (municipal Corporation) में तकरीबन 11 हजार स्वास्थ्य मित्र हंै, जो दिन-रात शहर की स्वच्छता में लगे रहते हैं। इंदौर को देश में सबसे स्वच्छ शहर बनाने का श्रेय काफी हद तक इन्हीं की मदद को जाता है। विपरीत परिस्थिति, कोरोना संक्रमण और सवा साल के लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान भी इंदौर नगर निगम (municipal Corporation) के अधिकारियों से लेकर सफाई मित्र तक ने खूब सक्रियता दिखाई। शहर के कोने-कोने को साफ किया। निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने बताया कि कोरोना की पहली लहर में तकरीबन 900 कर्मचारी संक्रमित हुए थे और 61 कर्मचारियों की मौत भी हुई थी। इस बार दूसरी लहर शुरू होने से पहले फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में निगम के सफाई मित्रों को कोरोना वैक्सीन (Vaccine) लगाई गई, जिसके दोनों डोज पूरे हो चुके हैं। वैक्सीन (Vaccine) का कारगर लाभ यह हुआ कि दूसरी लहर में कोरोना संक्रमित निगमकर्मियों का आंकड़ा 100 तक पहुंचा है और तीन लोगों की मृत्यु हुई है। निगम के कर्मचारी लगातार डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, विभिन्न अस्पतालों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ के साथ श्मशानों में दाह संस्कार (cremation) में अपनी सतत भूमिका निभा रहे हैं तो शहर में लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान अनावश्यक घूमने वालों को भी जुर्माना लगाने में प्रमुखता से भूमिका निभा रहे हैं।
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