नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Corona Virus) की दूसरी लहर के कहर से देश का जर्रा-जर्रा त्राहिमाम कर रहा है। इस बीच वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि देश जल्द ही कोरोना महामारी की तीसरी लहर की चपेट में आ सकता है, जो बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगी। इस बीच आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल-मई 2021 के दौरान देश के महज 2 राज्यों में 90 हजार बच्चे कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि जब महज 2 राज्यों में 90 हजार बच्चे संक्रमित हो गए तो पूरे देश का क्या हाल होगा? क्या देश अभी से तीसरी लहर की चपेट में आ चुका है?
गौर करने वाली बात यह है कि महाराष्ट्र के अहमदनगर में सिर्फ मई 2021 के दौरान लगभग 9 हजार बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए। इस आंकड़े ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के होश उड़ा दिए। माना जा रहा है कि तीसरी लहर के खतरे का अलार्म बज चुका है। ऐसे में राज्य सरकार ने भी कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है।
जानकारी के मुताबिक, तेलंगाना में इस साल मार्च से मई 2021 तक कुल 37,332 बच्चे कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इनमें नवजात से लेकर 19 साल की उम्र तक के बच्चे शामिल हैं। यह जानकारी तेलंगाना स्वास्थ्य विभाग ने दी। अधिकारियों ने बताया कि कोरोना की पहली लहर के दौरान 15 अगस्त से 15 सितंबर 2020 तक 19,824 बच्चे संक्रमित हुए थे। तेलंगाना जैसा हाल मध्यप्रदेश का भी है। यहां अब तक 18 साल से कम उम्र के 54 हजार बच्चे संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें संक्रमण दर 6.9 फीसदी रही। इनमें 12 हजार से ज्यादा बच्चे अस्पतालों में भर्ती कराए गए। बता दें कि यह आंकड़ा कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान का है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की कोविड पॉजिटिव पेशेंट लाइन लिस्ट रिपोर्ट की मानें तो दूसरी लहर के दौरान सिर्फ भोपाल में 2,699 बच्चे संक्रमित हुए। इनमें 58 फीसदी बच्चे घर पर रहकर ही ठीक हो गए। सिर्फ 32 फीसदी बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए और 660 बच्चे होम आइसोलेशन में हैं। आंकड़ों की मानें तो 72 फीसदी बच्चे अब तक स्वस्थ हो चुके हैं। देश में अब तक हुए सीरो सर्वे के मुताबिक, पहली और दूसरी लहर में कुल 40 फीसदी बच्चे कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। पहली लहर में सिर्फ 15 फीसदी बच्चे कोरोना संक्रमित हुए थे, जबकि दूसरी लहर के दौरान यह आंकड़ा 25 फीसदी के पार हो गया। ऐसे में माना जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर का खतरा देश के बाकी 60 फीसदी बच्चों पर मंडरा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर बेहद घातक हो सकती है। दूसरी लहर के दौरान भले ही काफी बच्चे भी संक्रमित हुए, लेकिन उनकी मृत्यु दर कम रही। हालांकि, यह नहीं कहा जा सकता कि भविष्य में भी मृत्यु दर पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बाल रोग विशेषज्ञों की मानें तो तीसरी लहर का असर अगर बच्चों पर पड़ा तो हालात बेहद खराब हो सकते हैं। दरअसल, बच्चों के इलाज के लिए खास आईसीयू यानी पीआईसीयू की जरूरत होती है, जो चुनिंदा शहरों के अलावा देश में कहीं नहीं हैं। पीआईसीयू बेड सामान्य आईसीयू बेड से अलग होते हैं, जिन्हें बच्चों के लायक बनाना आसान नहीं है।
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