भोपाल: संसद के दोनों सदनों से वक्फ संशोधन बिल 2025 (Wakf Amendment Bill 2025) पारित हो गया है. वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी वक्फ (संशोधन) बिल को शनिवार देर शाम मंजूरी दे दी. वक्फ संशोधन बिल 2025 पारित होने के बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि वक्फ संपत्तियों में सालों से गड़बड़ी हो रही थी. इससे खासतौर पर मुस्लिम महिलाओं और गरीबों को नुकसान हुआ. अब यह नया कानून पारदर्शिता बढ़ाएगा और गरीब पसमांदा मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा करेगा. पीएम मोदी ने वक्फ की जिन संपत्तियों में गड़बड़ी का जिक्र किया है, मध्यप्रदेश में इसके सैकड़ों उदाहरण हैं.
वक्फ बोर्ड के मुताबिक, एमपी में वक्फ की 90 फीसदी प्रॉपर्टी विवादों में है. ये विवाद अलग-अलग तरह के हैं. वक्फ की कई जमीनों पर कब्जे और अतिक्रमण हैं, तो कई संपत्तियों पर सरकारी दफ्तरों का संचालन हो रहा है. आइए जानते हैं वक्फ संशोधन बिल 2025 आने से क्या-क्या बदलाव होगा.
वक्फ की प्रॉपर्टी का कैसे इस्तेमाल हो रहा है, ये समझना है तो इसका सबसे जीवंत उदाहरण है वक्फ बोर्ड के मुख्यालय के पास बना यतीमखाना. इस यतीमखाने का संचालन दारुल शफकत सोसाइटी करती है. सोसाइटी ने पिछले हिस्से में यतीमखाना बनाया है और सामने के हिस्से को निजी जीवन रेखा अस्पताल को किराए पर दे दिया है. सोसाइटी वक्फ बोर्ड को कोई किराया नहीं देती, लेकिन अस्पताल से 12 से 15 लाख रुपए सालाना किराया वसूल करती है. इतना ही नहीं, सोसाइटी ने पूरी प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक का भी दावा किया था. वक्फ बोर्ड की तरफ से कोर्ट में केस दायर किया गया. कई सालों तक मामला कोर्ट में चला और फैसला वक्फ बोर्ड के पक्ष में आया.
दूसरा सबसे अहम केस मध्यप्रदेश के पुलिस मुख्यालय से जुड़ा है. साल 2007 में वक्फ बोर्ड के अधीन काम करने वाली संस्था मुतावल्ली कमेटी इंतेजामिया औकाफ-ए-आम्मा ने वक्फ ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर जायदाद का मालिकाना हक दिलाने की मांग की थी. इस मामले में मध्यप्रदेश सरकार, गृह सचिव, डीजीपी और नगर निगम को पार्टी बनाया गया था. औकाफ-ए-आम्मा की तरफ से वादी मोहम्मद रफी और मोहम्मद सलीम ने प्राधिकरण को बताया कि जिस जमीन पर पुलिस मुख्यालय बना है, वह कब्रिस्तान की भूमि है. यह वक्फ बोर्ड द्वारा संधारित पंजी में क्रमांक 928 और सिटी सर्वे नंबर 1462 में दर्ज है. वर्ष 1994-95 के खसरा के कॉलम नंबर 3 में भी इसे कब्रिस्तान दर्शाया गया है.
नए कानून से क्या बदलेगा?
वक्फ संशोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गया है. वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सनवर पटेल कहते हैं कि बोर्ड की जमीनों के जो विवाद हैं, वो तीन लेवल पर निपटाए जाएंगे.
लेवल 1: मप्र में वक्फ की सभी 15 हजार से ज्यादा संपत्तियों का वैरिफिकेशन किया जाएगा. वैरिफिकेशन के बाद इन्हें वक्फ असेट मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) पर अपलोड किया जाएगा.
लेवल 2: इस स्तर पर राजस्व अमले की मदद से वक्फ संपत्तियों का भौतिक सत्यापन किया जाएगा. संपत्ति अस्तित्व में है तो किस स्थिति में है, साथ ही ये भी देखा जाएगा कि वक्फ संपत्तियों की चारों दिशाओं में किस तरह के स्ट्रक्चर हैं या खाली मैदान हैं? जो वक्फ संपत्तियां 1970 से 1980 के बीच रजिस्टर्ड हुई थीं, उनका खसरा नंबर वो ही है या बंदोबस्त में बदल गया है.
लेवल 3: ये पूरा डेटा मिलने के बाद आखिरी चरण में वक्फ की संपत्तियों से अवैध कब्जे, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी.
नया वक्फ संशोधन विधेयक पुराने वक्फ कानून से कई मायनों में अलग है. पुराने कानून की धारा 40 वक्फ बोर्ड को किसी संपत्ति के वक्फ होने या न होने का निर्णय लेने की असीमित शक्ति देती थी, जिसे नए कानून में समाप्त कर दिया गया है. इसी तरह, वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को भी चुनौती देने का अधिकार दिया गया है, जबकि पहले यह अंतिम माना जाता था. इसके अतिरिक्त, वक्फ को जमीन दान करने के लिए दानकर्ता का कम से कम 5 साल से मुसलमान होना अनिवार्य कर दिया गया है, और सरकारी जमीनों को वक्फ संपत्ति मानने से छूट दी गई है.
पुराने कानून में सरकारी जमीनों को वक्फ संपत्ति माना जा सकता था, लेकिन नए कानून के अनुसार, सरकारी जमीन को वक्फ नहीं माना जाएगा. यदि कोई सरकारी जमीन गलती से वक्फ रिकॉर्ड में दर्ज हो गई है, तो उसका निर्णय जिलाधिकारी (कलेक्टर) करेंगे, न कि वक्फ बोर्ड. इन बदलावों का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है, लेकिन विपक्ष ने इसे वक्फ बोर्ड के अधिकारों में हस्तक्षेप बताते हुए विरोध किया है.
सरकारी जमीनों पर दावा: पुराने वक्फ कानून में, वक्फ बोर्ड सरकारी जमीनों पर भी दावा कर सकता था. नए कानून में, सरकारी जमीनों को वक्फ संपत्ति के रूप में दावा करने पर रोक लगाई गई है.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved