इंदौर। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) के आदेश पर इंदौर सहित पूरे प्रदेश में स्ट्रीट चिल्ड्रन सर्वे (street child survey) किया जा रहा है। सर्वे में इस तरह से घूमते बच्चों को चिह्नित कर उनका नाम बाल स्वराज पोर्टल (Bal Swaraj Portal) पर दर्ज किया जा रहा है। इसके बाद उन्हें शासन की सुविधाओं का लाभ देते हुए उनका भविष्य सुधारा जाएगा। इंदौर (indore) में पिछले 2 दिन सर्वे किया गया, जिसमें लालबाग, भंवरकुआं, नौलखा व अन्नपूर्णा (Lalbagh, Bhanwarkuan, Naulakha, Annapurna) क्षेत्र में कचरा व पन्नी बीनने वाले तथा भीख मांगने वाले 90 बच्चे मिले।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child) ने पत्र जारी कर सभी राज्यों से वहां ऐसे बच्चों की खोज करने को कहा, जिनके माता-पिता हैं, लेकिन वे आर्थिक रूप से कमजोर और समाज में शिक्षा से नहीं जुड़े हैं। 22 नवम्बर को संचालनालय महिला बाल विकास (Women and Child Development) की ओर से संचालक रामराव भोंसले ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि दो सप्ताह में ऐसे घुमन्तू बच्चों की जानकारी एकत्रित कर उनके पुनर्वास की कार्ययोजना भेजी जाए। इसी के तहत इंदौर महिला बाल विकास की आईसीपीएस विंग, चाइल्ड लाइन, बाल पुलिस इकाई (ICPS Wing, Child Line, Children Police Unit) और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ 26 व 27 नवंबर को इंदौर जिले (indore district) में स्ट्रीट चिल्ड्रन के लिए सर्वे किया गया। आईसीपीएस के संदेश रघुवंशी ने बताया कि इसमें 90 ऐसे बच्चों का चिह्नांकन किया गया। ऐसे बच्चों को बाल संरक्षणगृह में रखकर उनकी परवरिश करने के साथ शासन की योजना का लाभ देकर भविष्य उज्ज्वल बनाया जाएगा। इनमें अधिकतर बच्चे कचरा बीनने वाले ही हैं। बाल संरक्षण अधिकारी अविनाश यादव ने बताया कि इंदौर में मिले 90 बच्चों का प्रकरण बाल कल्याण समिति में भेजा जा रहा है। साथ ही बाल स्वराज पोर्टल (Bal Swaraj Portal) पर इंट्री की गई है। बाल कल्याण समिति द्वारा इन बच्चों की जांच-पड़ताल कर आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इंदौर के अलावा भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, खंडवा, खरगोन (Bhopal, Jabalpur, Gwalior, Khandwa, Khargone) सहित प्रदेश के अन्य जिलों व गांवों में भी सर्वे किया जा रहा है। इसके साथ ही 4 दिसंबर तक इन बच्चों को कहां और किस हालत में रखा जा रहा है, इसकी जानकारी भी भोपाल (bhopal) भेजना है।
जीरो से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों को मिलता है न्याय
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग बाल अधिकारों (National Commission for Protection of Child Rights Child Rights) के सर्वभौमिक और अखंडता के सिद्धांतों पर बल देता है तथा बच्चों से जुड़ी सभी नीतियों में उन्हें आधिकारिक रूप से मान्यता प्रदान करता है। आयोग के अंतर्गत जीरो से 18 वर्ष की उम्र के सभी बच्चों की सुरक्षा का समान मत रखता है। बाल अधिकारों के उल्लंघन की जांच तथा ऐसे मामले में कार्रवाई की शुरुआत की अनुशंसा भी आयोग ही करता है। घरेलू हिंसा, उत्पीडऩ, शोषण (Domestic Violence, Harassment, Exploitation) द्वारा प्रभावित बच्चों के कारकों की जांच कर उनके अधिकार के अनुसार अनुशंसा कर न्याय भी दिलाता है।
भीख मांगने वाले बच्चों को भी घुमन्तू का नाम दिया
ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता हैं, लेकिन वे आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं कि बच्चों की देखरेख कर पाएं और पारिवारिक माहौल दे पाएं। यह बच्चे घर से बाहर सडक़, बाजार, गांव, गलियों में घूमते रहते हैं। जो काम मिला, वो कर लेते हैं। शिक्षा से इनका प्रत्यक्ष लेना-देना भी नहीं होता। ऐसे बच्चों को घुमन्तू बच्चे (स्ट्रीट चिल्ड्रन) कहा गया है, लेकिन प्रशासन ने ऐसे बच्चों की खोज कर सर्वे करने के बजाय केवल भीख मांगने वाले बच्चों को पकडक़र उन्हें घुमन्तू का नाम दे दिया।
बच्चों को अपराध से बचाना जरूरी
अकसर देखा गया है कि जिन बच्चों को परिवार का सही साथ नहीं मिलता और वे स्कूली शिक्षा से भी दूर रहते हैं, ऐसे बच्चे अपराध करने लगते हैं और समाज की मुख्यधारा से दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही बड़ी संख्या में बच्चे नशे के आदी भी हो रहे हैं, जिससे उन्हें आभास ही नहीं होता और वे गंभीर अपराध भी कर जाते हैं। ऐसे बच्चों को अपराध से बचाने के लिए संभवत: इस प्रकार की योजना चलाई जाना चाहिए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved