इंदौर। खंडवा-इंदौर हाईवे के लिए इंदौर और खंडवा के वन विभागों की सीमा के अंतर्गत 9 हजार से ज्यादा काटे गए पेड़ों की नीलामी के लिए अब रालामंडल में मोलभाव की बोली गूंजेगी। पिछले कुछ सालों से इंदौर वन विभाग अपने जंगल की लकड़ी बेचने के लिए ऑनलाइन नीलामी करता आ रहा था, मगर यह ऑनलाइन लकड़ी बेचने का सिस्टम बंद कर व्यापारियों को लकड़ी डिपो में ही बुलाकर आमने-सामने नीलामी की जाएगी। रालामंडल एसडीओ योहान कटारा ने बताया कि 13 जनवरी को रालामंडल लकड़ी डिपो में मौजूद लकडिय़ों को नीलामी के जरिए ऊंची बोली लगाने वाले व्यापारियों को बेचा जाएगा।
हाईवे के लिए कटे पेड़ों की लकडिय़ां हैं
एसडीओ रालामंडल के अनुसार रालामंडल लकड़ी डिपो में लकडिय़ों के 631 लॉट हैं, जिसमे सागवान सहित अन्य मिश्रित लकडिय़ों के अलावा इंदौर – खंडवा हाईवे रोड के चौड़ीकरण के लिए काटे गए पेड़ों की लकडिय़ां ज्यादा हैं। कटारा के अनुसार लकड़ी खरीदने के लिए इंदौर के स्थानीय के अलावा देवास, उज्जैन, खंडवा, धार, खरगोन के कई व्यापारी लकड़ी की बोली लगाने आएंगे।
ऑनलाइन सिस्टम से राजस्व का नुकसान
एसडीओ के मुताबिक ऑनलाइन नीलामी की वजह से न सिर्फ व्यापारियों को, बल्कि वन विभाग को भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। अभी तक वन विभाग लकड़ी डिपो में मौजूद बेची जाने वाली लकडिय़ों के लॉट के फोटो ऑनलाइन सिस्टम में डाल देता था । उसके साथ उसकी कीमत लिख देता था । इसके बाद इस ऑनलाइन साइट को व्यापारी लॉगइन कर अपनी कीमत डाल देते थे, मगर अधिकांश व्यापारी इस ऑनलाइन नीलामी से संतुष्ट नहीं थे। उनका कहना था कि फोटो देख लकड़ी की क्वालिटी, यानी गुणवत्ता का आकलन करना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है। इसी तरह की उनकी अन्य शिकायतें भी थीं। इस ऑनलाइन सिस्टम नीलामी की वजह से डिपो की लकड़ी बेचने में बहुत ज्यादा समय लग रहा था, जिससे इंदौर वन विभाग को राजस्व का नुकसान हो रहा था। ऐसी कई वजहों के चलते ऑनलाइन नीलामी सिस्टम बंद कर दिया गया ।
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