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    उपचुनाव में एससी कोटे की 9 सीटें बनेंगी भाजपा के लिए चुनौती

  • September 11, 2020

    • 2018 के चुनाव में भाजपा के लिए हानिकारक साबित हुई थीं ये सीटें

    भोपाल। प्रदेश में 27 विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस की नजर उन 9 सीटों पर है जो एससी कोटे की हैं। अनुसूचित जाति वर्ग बहुल वाली इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस ने फोकस बढ़ा दिया है। 2018 के चुनाव में यह सीटें भाजपा के लिए हानिकारक साबित हुई थीं। लेकिन इस बार पार्टी 27 सीटों में इन नौ सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस कर रही है। एक दिन पहले हुई भाजपा की बड़ी बैठक में भी पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने उन सीटों पर फोकस बढ़ाने को कहा है जिस पर 2018 के चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था।
    भाजपा नेता लाल सिंह आर्य के मुताबिक पिछले चुनाव में जिन अनुसूचित जाति वाली सीटों पर भाजपा को नुकसान हुआ था। इस बार ऐसा नहीं होगा। अनुसूचित जाति का वोट भाजपा के पक्ष में आएगा। सरकार के हर वर्ग को लेकर लिए जा रहे फैसलों से इस बार का माहौल बदला हुआ है। उप चुनाव से पहले भाजपा की दलित वोटों की चिंता पर कांग्रेस ने पलटवार बोला है। भाजपा प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा है कि उप चुनाव आते ही भाजपा को दलित वोटों की चिंता सताने लगी है। लेकिन प्रदेश की सत्ता में भाजपा की वापसी के साथ ही दलित अत्याचार तेजी के साथ बड़े हैं और अब किसी भी सरकारी सेवा के जरिए दलित वोटों को रिझाया नहीं जा सकता है। दरअसल 27 सीटों के उपचुनाव में भाजपा का टेंशन अनुसूचित वर्ग की सीटों को लेकर है। जो 2018 में भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाली साबित हुई थीं। इनमें ग्वालियर चंबल संभाग की सीटों पर भाजपा और कांग्रेस का सबसे ज्यादा फोकस हो गया है। दरअसल 4 साल पहले एट्रोसिटी एक्ट का सबसे ज्यादा विरोध ग्वालियर चंबल संभाग में हुआ था। यहां 9 सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण सभी सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। और यही कारण है कि अब पार्टी इन 9 सीटों पर अपने चेहरों को बदलने के साथ ही दलित वोटों को साधने पर नजर टिकाए हुए हैं। जानकारी के मुताबिक पार्टी संबल योजना के जरिए एससी वर्ग को सरकार की योजनाओं से जोड़कर अच्छे दिनों का एहसास कराने की कोशिश में है।

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