केदारनाथ/नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) शुक्रवार को केदारनाथ धाम पहुंचे जहां उन्होंने विधि विधान से पूजा अर्चना की। इस दौरान उन्होंने करोड़ों रुपयों के विकासकार्यों का भी उद्घाटन किया। इस दौरान प्रमुख रूप से आदि गुरु शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) की प्रतिमा का अनावरण किया। साथ ही पीएम मोदी ने यहां शंकराचार्य के समाधि स्थल की भी लोकार्पण किया। यह स्थान साल 2013 में आई प्राकृतिक आपदा में टूट गया था। दरअसल, शंकराचार्य की प्रतिमा से जुड़े कई अहम तथ्य हैं, जो इस आयोजन को और खास बना रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार इस मूर्ति को तैयार करने का काम साल 2020 के सितंबर माह में शुरू हो गया था। करीब 9 कारीगरों ने लगातार मेहनत कर आदि गुरु शंकराचार्य का यह रूप तैयार किया। सितंबर में मूर्ति को चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से उत्तराखंड लाया गया था। कलाकारों की टीम ने इस प्रतिमा के लिए एक खास शिला चुनी। खास बात है कि 130 वजनी शिला को तराशने के बाद अब इसका वजन 35 टन हो गया।
यहां तक कि इसमें लगे कलाकारों ने आदि गुरु शंकराचार्य के ‘तेज’ को दिखाने के लिए प्रतिमा पर नारियल के पानी का भी इस्तेमाल किया है। इसकी मदद से मूर्ति की सतह पर चमक बनी रहेगी। प्रतिमा की ऊंचाई करीब 12 फीट होगी।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को केदारनाथ (Kedarnath) में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश भर के कई संत आध्यात्मिक चेतना जगा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने इससे पहले विकास कार्यों की समीक्षा की। इसके बाद 250 करोड़ रुपये की केदारपुरी पुनर्निर्माण परियोजनाओं की शुरुआत की। यहां बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया और उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर में कई परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। इस मौके पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट (सेवानिवृत्त) जनरल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज सभी मठों, 12 ज्योतिर्लिंगों, अनेक शिवालयों, शक्ति धाम,अनेक तीर्थ क्षेत्रों पर देश के गणमान्य महापुरुष, पूज्य शंकराचार्य परंपरा से जुड़े हुए सभी वरिष्ठ ऋषि, मनीषी और अनेक श्रद्धालु भी देश के हर कोने से केदारनाथ की इस पवित्र भूमि के साथ हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप सभी आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि की पुनर्स्थापना के साक्षी बन रहे हैं। यह भारत की आध्यात्मिक समृद्धि और व्यापकता का बहुत अलौकिक दृश्य है।
प्रधानमंत्री ने रामचरित मानस को उदृत करते हुए कहा ‘अबिगत अकथ अपार, नेति-नेति नित निगम कह’ अर्थात्, कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता। बाबा केदारनाथ की शरण में आकर मेरी अनुभूति ऐसी ही होती है।