इंदौर। मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के कारनामे लगातार उजागर होते रहे हैं। अभी 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट और बैलेंस शीट से ही कई खुलासे हुए। भारत-श्रीलंका टी-20 मैच के कुल 1 करोड़ 72 लाख के टिकट बेचना बताए और पेटीएम को कमीशन और सर्विस टैक्स के रूप में 88 लाख 51 हजार का भुगतान कर डाला। इतना कमीशन और सर्विस चार्ज पूरी दुनिया में कहीं नहीं है।
अभी हुए मैच के दौरान भी एमपीसीए द्वारा की गई अनियमितताएं और निगम से हुआ विवाद सुर्खियों में रहा। एमपीसीए के कारनामों का खुलासा अग्निबाण भी लगातार कर रहा है और मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेशसिंह यादव भी आज पत्रकार वार्ता कर घोटालों की जानकारी उजागर कर रहे हैं। श्री यादव का कहना है कि एमपीसीए ने अपनी बैलेंस शीट में ही टिकटों के विक्रय से जो आय बताई उसमें घपला किया गया। पेटीएम इनसाइडर को कमीशन और सर्विस टैक्स के रूप में ही आधे से अधिक राशि 88 लाख 51 हजार का भुगतान कर दिया।
पूरी दुनिया में इतना कमीशन या सर्विस टैक्स कहीं पर भी नहीं है। अगर राष्ट्रीकृत बैंक या ऑफलाइन टिकट बेचे जाते तो यह इतनी बड़ी राशि कमीशन के रूप में नहीं चुकाना पड़ती। इतना ही नहीं, लगभग 61 लाख रुपए कॉन्ट्रैक्टर और प्रोफेशनल खर्च बताया गया और इलेक्ट्रीक ऑफिसर के नाम पर भी 15 लाख खर्च किए। कई तरह के फर्जी बिलों को लगाकर वित्तीय अनियमितताएं की गई। लीगल एवं प्रोफेशनल चार्ज के रूप में भी 21 लाख 40 हजार का खर्च दिखा गया और सिक्युरिटी के नाम पर भी 35.77 लाख की राशि खर्च करना बताई गई।
29500 टिकटों से कमाए सवा 6 करोड़
एमपीसीए कभी भी यह नहीं बताता कि उसने कुल कितनी टिकटों का विक्रय किया। 2020 के मैच में भी 1.72 करोड़ टिकट से आए बताई, जबकि सूत्रों का कहना है कि अभी जो मैच पिछले दिनों खेला गया उसमें 29 हजार से अधिक टिकटों के विक्रय से 6 करोड़ 30 लाख रुपए तक की आय एमपीसीए को होना चाहिए। मगर आधे से ज्यादा कॉम्प्लीमेंट्री और पास के नाम पर खेल किया जाता है।
मनोरंजन कर और जीएसटी भी हड़पा
पिछले 5 मैचों का एमपीसीए ने मनोरंजन कर नगर निगम को नहीं जमा कराया, तो जीएसटी भी वाणिज्य कर को नहीं दिया है। नगर निगम ने बड़ी मुश्किल से सम्पत्ति कर वसूल किया था, लेकिन टिकटों की बिक्री की राशि चूंकि अभी उजागर नहीं की, इसलिए कितना मनोरंजन कर चुकाना है उसकी भी जानकारी एमपीसीए ने अभी तक नहीं दी है।
आज विशेष बैठक
एमपीसीए की आज विशेष सभा आयोजित की गई है, जिसमें समीकरण में संशोधन किया जाएगा, क्योंकि पिछले दिनों ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी क्रिकेट राज्य संगठनों को इसके निर्देश दिए हैं। इससे पदाधिकारी भी प्रभावित होंगे।
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