उज्जैन। शिप्रा नदी में नहाना खतरनाक हो गया है और आए दिन लोगों की मौत हो रही है। यदि घाट पर जवान लोगों की जान न बचाए तो मरने वालों की संख्या काफी अधिक हो सकती थी।
उल्लेखनीय है कि जिले में मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी के तट पर बने रामघाट, दत्त अखाड़ा एवं नृसिंह घाट पर देशभर से प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिप्रा माँ में श्रद्धा की डुबकी लगाने एवं महाकाल दर्शन के लिए उज्जैन आते हैं। श्रद्धालु स्नान करते समय गहरे पानी में चले जाते हैं जिससे वह डूबने लगते हैं। जिला होमगार्ड कमांडेंट संतोष कुमार जाट ने बताया कि नदी का जल स्तर बढ़ा होने से डूब की घटनाएँ हो रही है। रामघाट पर शिप्रा नदी में डुबकी लगाने आए श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था हेतु संपूर्ण रामघाट पर होमगार्ड और एसडीआरएफ के जवानों को मोटरबोट एवं अन्य आपदा उपकरणों के साथ तैनात किया गया है। सभी जवान तीन शिफ्टों में तैनात किया गए हैं, जिन्हें समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाता है। इसके पश्चात ही रामघाट पर डूब की घटनाओं में कमी आई है। वर्ष 2022 में रामघाट पर डूब की अत्यधिक घटनाओं को देखते हुए जिला कमांडेंट द्वारा निर्णय लिया गया कि रामघाट पर इन घटनाओं को रोकने हेतु विभाग के द्वारा उच्च प्रशिक्षित एसडीआरएफ जवानों की तैनाती की जाएगी। जिसके अंतर्गत वर्ष 2023 एवं 24 में रामघाट पर तीनों शिफ्टों में लगातार न्यूनतम 20 जवान एसडीआरएफ एवं 10 होमगार्ड के जवान तैनात किए गए हैं। जिसमें वर्ष 2023 में एसडीआरएफ एवं होमगार्ड टीम के द्वारा बगैर कोई डूब की घटना घटित हुई और रामघाट पर 53 श्रद्धालुओं को घाट पर डूबने से बचाया गया। इस वर्ष भी रामघाट पर अभी तक होमगार्ड एवं एसडीआरएफ टीम के द्वारा कुल 85 नागरिकों की जान बचाई गई। दुर्भाग्य से माह अगस्त में एक व्यक्ति की डूबने से मौत हुई। इस वर्ष बचाए गए 85 नागरिकों में से 40 श्रद्धालु ऐसे थे जो घाट पर स्नान के समय गहराई का अंदाजा न होने एवं घाट पर फिसलन के कारण पानी में डूब रहे थे। इसमें एक बार तो एक परिवार के पाँच सदस्यों को ही एक साथ बचाया गया था। क्षिप्रा बैराज से एकाएक पानी छोडऩे से जलस्तर बढऩे पर घाट पर फंसे लगभग 45 श्रद्धालुओं को भी एसडीआरएफ होमगार्ड टीम ने सुरक्षित जीवित बचाकर सुरक्षित स्थान तक भेजा। होमगार्ड विभाग के द्वारा सतत निगरानी कर इस वर्ष भी लगभग 85 नागरिकों को जीवित बचाया गया परंतु विभाग के द्वारा अपने स्तर पर उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करते हुए यह कार्रवाई की गई, अन्य विभाग मुख्यत: नगर निगम के द्वारा भी इस संबंध में बहुत सी कार्रवाई पूरी की जाना अपेक्षित है जिसमें मुख्यत: स्नान के लिए एक किसी घाट को चिन्हित कर वहाँ पर रैलिंग अथवा रस्से के माध्यम से बैरिकेडिंग की जाए एवं गहराई के संबंध में बोर्ड लगाकर श्रद्धालुओं को सूचित किया जाए। स्नान के लिए घाटों पर चैन लगी हो, जिससे चैन पड़कर यात्री स्नान कर सके। इसके अतिरिक्त घाट का पीए सिस्टम भी संपूर्ण घाट पर नहीं रहता जिससे भी यात्रियों को अनाउंस नहीं कर पाते और उनको सूचना नहीं पहुँचती और वह गहरे पानी में चले जाते हैं, साथ ही साथ जब जवान तेज धूप में 8 घंटे ड्यूटी करते हैं तो उसके लिए टेंट या घाट पर छाया का कोई इंतजाम हो, ताकि जवान अच्छे से ड्यूटी कर सके। घाट पर फिसलन होने के कारण भी कई बार यात्री पत्थर पर गिर जाते हैं जिसमें सिर की चोट के कारण भी घायल हो जाते हैं। इसके लिए समय-समय पर घाट की सफाई भी होती रहे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved