इंदौर। नगर निगम के रिकॉर्ड में वैध ठेले-गुमटियों की संख्या मात्र 847 ही है, जबकि शहर में 50 हजार से ज्यादा इनकी संख्या होगी। निगम को इन वैध ठेले-गुमटियों से मात्र पौने 5 लाख रुपए भूमि शुल्क मिलता है, जो उसने अभी कफ्र्यू-लॉकडाउन की दो माह की अवधि का साढ़े 9 लाख रुपए माफ भी कर दिया। इसी तरह 3368 मार्केटों में स्थित दुकानों का भी 1 करोड़ रुपए से अधिक अप्रैल-मई का किराया नहीं लिया जाएगा।
शहर में रातों रात गुमटियां लगने की परम्परा रही है, जबकि निगम ने सालों से एक भी गुमटी को मंजूरी नहीं दी है। व्यवस्थापन के नाम पर ही ज्यादातर वैध गुमटियां लगी है, जिनकी संख्या अत्यंत कम है, जबकि इससे कई गुना ज्यादा शहर में मौजूद है। एक अनुमान के मुताबिक ठेले-गुमटियों की संख्या 50 हजार से एक लाख तक हो सकती है, अगर नगर निगम वार्डवार इनका सर्वे करवा ले। निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने बताया कि कोरोना के कारण 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन घोषित किया था, जिसके चलते 31 मई तक इंदौर भी पूरी तरह से बंद रहा और कोई व्यवसाय नहीं हो पाया। लिहाजा ठेले-गुमटियों वालों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर अप्रैल-मई का किराया माफ करने का निर्णय अनुशंसा के साथ प्रशासक के पास भिजवाया गया। कल संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने इसकी मंजूरी दे दी और दो माह का किराया माफ कर दिया। अब शासन को भी स्वीकृति के लिए प्रकरण भेजा जाएगा। निगम ने बताया कि निगम सीमा में निगम स्वामित्व के विभिन्न मार्केटों में निगम की कुल 3368 दुकाने किराये पर आवंटित है, उक्त दुकानों से निगम को प्रतिमाह 51,58,619 किराया प्राप्त होता है। इसी प्रकार निगम भूमि पर स्थित स्वीकृत ठेला-गुमटियों की संख्या 847 है, जिनसे प्रतिमाह 479402 भूमि शुल्क प्राप्त होता है। आयुक्त पाल ने बताया कि निगम स्वामित्व के विभिन्न मार्केटो में स्थित कुल 3368 दुकानों का माह अपै्रल एवं मई 2020 का कुल किराया 1,03,17,238 हुआ था।
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