नई दिल्ली: साल 2014 में केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद से नॉर्थ ईस्ट राज्यों (North East States) में शांति का माहौल बना हुआ है. उग्रवादी हिंसा और घटनाओं पर 80 फीसदी अंकुश लगाया है. इतना ही नहीं करीब 6000 से ज्यादा उग्रवादियों (Militant Organizations) ने आत्मसमर्पण तक किया है. केंद्र सरकार (Central Government) नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में विकास का काम तेजी के साथ भी कर रही है और पूर्व की सरकारों में उपेक्षित रहे इन सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार विकास किया जा रहा है.
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट में शांति का युग आया है. 2014 के बाद उग्रवादी हिंसा में 80% की गिरावट दर्ज की गई है. केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद यानी 2014 के बाद 6000 मिलिटेंट ने आत्मसमर्पण किया है.
बताते चलें कि पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने भी नई दिल्ली में वामपंथी उग्रवाद पर एक रिव्यू मीटिंग की थी. इस मीटिंग में गृह मंत्री शाह ने कहा था कि भारत सरकार ने अनेक उग्रवादी गुटों, विशेषकर उत्तरपूर्व में, के साथ समझौता कर उनसे हथियार डलवाने में सफलता हासिल की है. बोड़ोलैंड समझौता, ब्रू समझौता, कार्बी आंगलोंग समझौता और त्रिपुरा के उग्रवादियों द्वारा आत्मसमर्पण समेत अबतक लगभग 16 हजार कैडर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं. केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा था कि जितने भी लोग हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में आना चाहते हैं, उनका हम स्वागत करते हैं.
CAPFs की तैनाती पर राज्यों के खर्च में 2900 करोड़ की कमी आई
बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) की तैनाती पर होने वाले राज्यों के स्थायी खर्च में कमी लाने के लिए एक अहम निर्णय लिए हैं. इसके चलते साल 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में CAPFs की तैनाती पर होने वाले राज्यों के खर्च में करीब 2900 करोड़ रुपए की कमी आई है. प्रधानमंत्री ने निरंतर इसकी समीक्षा की है और लगातार हम सबका मार्गदर्शन कर रहे हैं.
करीब 1,748 किलोमीटर लंबे टू-लेन ‘फ्रंटियर हाईवे’ का बड़ा सामरिक महत्व
इस बीच देखा जाए तो केंद्र सरकार नॉर्थ ईस्ट राज्यों के विकास पर भी तेजी से काम कर रही है. केंद्र ने अगले पांच सालोंके दौरान अरुणाचल प्रदेश में एक नया राजमार्ग बनाने का फैसला किया है. भारत-तिब्बत-चीन-म्यांमार सीमा के करीब से गुजरने वाला राजमार्ग कुछ जगहों पर ‘फ्रंटियर हाईवे’ अंतरराष्ट्रीय सीमा से 20 किमी के करीब होगा.
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से बनाए जाने वाले करीब 1,748 किलोमीटर लंबे टू-लेन सड़क का बड़ा सामरिक महत्व होगा. इसका उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों से लोगों के प्रवास को रोकना है. नॉर्थ ईस्ट खासकर अरुणाचल में चीन के बार-बार घुसपैठ के प्रयासों को देखते हुए यह सड़क सीमा पर सुरक्षा बलों और उपकरणों की निर्बाध आवाजाही के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी, जिसे NH-913 के नाम से जाना जाएगा.
अरुणाचल प्रदेश तक चीन के साथ लगती है भारत की 3500 किलोमीटर लंबी सीमा
पीएम मोदी ने रविवार को मेघालय के दौरे पर रहते हुए राज्य में 2,450 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और आधारशिला रखी है. चीन का नाम लिए बिना पीएम मोदी ने कड़ा संदेश देते हुए यह भी कहा था कि लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन के साथ भारत की 3500 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. ड्रैगन बॉर्डर पर भारत के विकास कार्यों का विरोध करता रहा है. बावजूद इसके भारत अपनी सीमाओं का विकास डंके की चोट पर करेगा और उसे इससे कोई ताकत नहीं रोक सकती.
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