नई दिल्ली। कोरोना के कहर से भारतीय अर्थव्यवस्था के उबरने के संकेत मिलने लगे हैं। सितंबर महीने में भारत में मैन्युफैक्चरिंग ऐक्टिविटी 8 साल के उच्चतम स्तर पर रही है। निक्केई मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स में यह बात सामने आई है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन में तेजी से ढील दिए जाने और गतिविधियों के बढ़ने से यह इजाफा दर्ज किया गया है। हालांकि इस दौरान भी कर्मचारियों की छंटनी जारी रही है, जो चिंता का कारण है। 1979 के बाद पहली बार जून तिमाही में 23.9 पर्सेंट की बड़ी गिरावट दर्ज करने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मैन्युफैक्चरिंग ऐक्टिविटी का बढ़ना सुखद संकेत है। भारत दुनिया के उन देशों में से एक है, जहां कोरोना सबसे तेजी से पैर पसार रहा है।
आईएचएच मार्केट की ओर से जुटाए गए डेटा के मुताबिक सितंबर में पीएमआई 56.8 रहा है, जो अगस्त में 52.0 था। यह लगातार दूसरा महीना था, जब पीएमआई 50 से ऊपर रहा है। जनवरी 2012 के बाद इतनी ऊंची रीडिंग पहली बार दर्ज की गई है। आईएचएस मार्केट की एसोसिएट डायरेक्टर पोलियान्ना डि लिमा ने कहा, ‘भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री लगातार सही दिशा में आगे बढ़ रही है। सितंबर के पीएमआई डाटा से कई सकारात्मक संकेत मिले हैं।’ उन्होंने कहा कि कोरोना के संकट को लेकर अब भी अनिश्चितता बरकरार है, लेकिन प्रोड्यूसर्स फिलहाल इस रिकवरी से खुश हो सकते हैं।
बता दें कि हाल ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि कोरोना कब जाएगा और वैक्सीन कब आएगी, इसके बारे में कुछ कह नहीं सकते। वित्त मंत्री ने कहा था कि 6 महीनों में वास्तव में चुनौती कम नहीं हुई है बल्कि चैलेंज बदल गया है। निर्मला सीतारमण ने कहा था कि वित्त मंत्रालय किसी भी समस्या के समाधान के लिए तेजी से ऐक्शन ले रहा है और प्रतिक्रिया दे रहा है। उन्होंने कहा कि भले ही कोरोना केस प्रति मिलियन कम हैं और मृत्यु दर भी ज्यादा नहीं हुई है, लेकिन अब भी कोविड-19 एक बड़ी चिंता बना हुआ है।
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