उज्जैन। ब्लैक फंगस के कारण इंफेक्शन आंख तक पहुंच चुका था। आंखों के जरिये यह इन्फेक्शन ब्रेन यानी मस्तिष्क तक पहुंच उनकी जान ले सकता था, इसलिए मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए उनकी आंखें निकालनी पड़ी। आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में लगभग 6 माह से ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज जारी है। यहां अभी तक 120 से अधिक मरीजों का इलाज किया गया है। इनमें से 8 मरीजों की आंख निकालनी पड़ी। ब्लैक फंगस के मरीजों का इंफेक्शन के हिसाब से इलाज किया जाता है। इंफेक्शन यदि दांत, मसूड़े यानी मुंह मे हुआ है तो इलाज नाक-कान गला विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाता है। यदि इंफेक्शन आंखों तक पहुंच चुका है तो नेत्र विशेषज्ञ की निगरानी में इलाज किया जाता है।
ब्लैक फंगस का इलाज के मामले में रिकार्ड
ब्लैक फंगस का इलाज करने करने के मामले में आरडी गार्डी अस्पताल ने रिकार्ड बनाया है । मध्यप्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेज सम्बन्धित हॉस्पिटल से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज उज्जैन जिले में यहीं किया जा रहा है।
मरीज को छोड़ परिजन भाग गए
आरडी गार्डी में ब्लैक फंगस के इलाज के दौरान कई दुखद बातें सामने आईं। कुछ मरीजों के परिजन अस्पताल में मरीज को भर्ती कराने के बाद चले गए। बावजूद इसके उनका ईलाज किया गया। स्वस्थ होने के बाद मरीजों के परिजन वापस आ गए और उन्हें अपने साथ ले गए।
जान है तो जहान है
ब्लैक फंगस के लगभग 8 मरीज ऐसे थे, जिनकी आंखों तक इंफेक्शन पहुंच चुका था। इनमें से सभी मरीज ऐसे थे, जिनमे इंफेक्शन तीसरी स्टेज पर पर था। इस वजह से मरीज के मस्तिष्क तक इंफेक्शन पहुंचने का खतरा पैदा हो गया था, जिसके कारण मरीज कोमा में जा सकता था या विक्षिप्त हो सकता था या फिर जान जा सकती थी । डॉ. सुधाकर वैद्य ने बताया कि कुछ लोगों के आंखों के साथ-साथ ब्रेन तक ब्लैक फंगस पहुँच गया था जिनका लंबा ईलाज चला।
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