img-fluid

पाकिस्तान में औसत से 780% ज्यादा बारिश

August 31, 2022

इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) में हो रही जबरदस्त बारिश ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। आलम यह है कि संयुक्त राष्ट्र से लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) और कई देशों ने पाकिस्तान की मदद की अपील की है। चौंकाने वाली बात यह है कि पूर्व में चीन से लेकर पश्चिम में अमेरिका तक भयंकर सूखे से जूझ रहे हैं, लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप पर जलवायु परिवर्तन की वजह से कहीं जबरदस्त बारिश तो कहीं सूखे की स्थिति देखी जा रही है। इनमें पकिस्तान ऐसा क्षेत्र है, जहां इस साल बारिश ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

यूरोप में पिछले दो महीने से खास बारिश नहीं हुई, जिसके कारण आगे भी स्थिति के सुधरने की कोई खास उम्मीद नजर नहीं आ रही। इतना ही नहीं अमेरिका के कई राज्य भी पानी की भारी कमी से जूझ रहे हैं। यूरोपियन कमीशन (ईसी) के जॉइंट रिसर्च सेंटर ने पिछले हफ्ते एलान किया है कि यूरोपीय संघ का लगभग आधा क्षेत्र और यूनाइटेड किंगडम का पूरा भूमिगत क्षेत्र सूखे की चपेट में है। इस साल की शुरुआत से ही यूरोप में सूखे की स्थिति पैदा होने लगी थी। इसके बाद सर्दियों और वसंत के मौसम में पूरे महाद्वीप के ऊपर वायुमंडल में पानी की करीब 19 फीसदी कमी देखी गई। बीते 30 वर्षों में यह पांचवां मौका है, जब यूरोप में औसत से कम बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा महाद्वीप तेज गर्मी और लू जैसी स्थितियों ने बारिश में कमी के असर को दोगुना कर दिया। मौजूदा समय में यूरोप का 10 फीसदी हिस्सा हाई अलर्ट पर है।

सूखे की समस्या का सामना कर रहा एक और देश है चीन। वैसे तो पाकिस्तान और चीन पड़ोसी हैं, लेकिन दोनों ही देशों में हालात बिल्कुल अलग हैं। चीन 144 साल के सबसे बुरी स्थिति में पहुंच गया है। एक तरफ यहां की सबसे बड़ी यांग्त्जे समेत 66 नदियां सूखने की कगार पर हैं। चीन में इस बार 40% कम बारिश हुई है। यह 1961 के बाद से सबसे कम है। ऊपर से लगातार गर्मी बढ़ रही है। चीन के कई शहरों में तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। चीन के जियांगसी प्रांत में इस साल भयंकर सूखे से पोयांग झील का आकार सिकुड़ कर एक चौथाई रह गया है। वहीं, चोंगक्विंग क्षेत्र में इस साल 60 फीसदी कम बारिश हुई है। चोंगक्विंग के उत्तर में स्थित बयबे जिले में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया है।


चीन के दस बेहद गर्म स्थानों में से आधा दर्जन चोंगक्विंग में हैं। भीषण गर्मी से चोंगक्विंग में बुरा हाल है। यहां जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ गईं हैं। दक्षिण-पश्चिम चीन के 34 प्रांतों की 66 नदियां बढ़ते तापमान की वजह से सूख गई हैं। शिचुआन और हुबेई प्रांत की स्थिति भी काफी खराब है। यहां लोगों को पीने के पानी के लिए भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान के जलवायु परिवर्तन परिषद के सदस्य आबिद कयूम सुलेरी के मुताबिक, इस साल पाकिस्तान में जितनी बारिश हुई है, उतनी पिछले तीन दशक में कभी नहीं हुई। 2022 में अब तक पाकिस्तान में औसत स्तर से 780 फीसदी तक ज्यादा बारिश हो चुकी है। पाकिस्तान की जलवायु मंत्री शेरी रहमान ने इसे अभूतपूर्व स्तर की आपदा करार दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने कभी भी मानसून का ऐसा चक्र नहीं देखा। लगातार आठ हफ्ते की बारिश से आधा देश बाढ़ की चपेट में है। यह कोई साधारण मौसम नहीं है। इससे हमारे छोटे से देश की 3.3 करोड़ जनता प्रभावित है।

पाकिस्तान में आए इस संकट का सबसे ज्यादा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा है। करोड़ों की संख्या में लोग बाढ़ के बीच फंसे रहने को मजबूर हैं। इस आपदा का सबसे बुरा असर पहले से ही इलाज खोज रहे बीमार लोगों पर पड़ा है। इसके अलावा बाढ़ के ठहरे पानी से पैदा होने वाली बीमारियों का खतरा भी सिंध और बलूचिस्तान की आबादी पर मंडरा रहा है। यूएन की एक एजेंसी के मुताबिक, मौजूदा समय में पाकिस्तान की करीब 6.5 लाख गर्भवती महिलाओं को चिकित्सीय सहायता की जरूरत है। लेकिन बाढ़ के कारण वे बुनियादी सेवाओं से भी दूर हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में भारी बारिश और बाढ़ की चपेट में आने की वजह से अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर भी असर पड़ा है। सिंध क्षेत्र में अब तक 1,000 से ज्यादा स्वास्थ्य केंद्र या तो पूरी तरह तबाह हो चुके हैं या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। इसके अलावा बलूचिस्तान में भी 198 हेल्थ फैसिलिटीज बुरी तरह प्रभावित हैं। इससे आम लोगों और महिलाओं को प्राथमिक चिकित्सा हासिल करने में मुश्किलें आ रही हैं। यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) के मुताबिक, बाढ़ की चपेट में आए पाकिस्तान में इस वक्त 6,50,000 गर्भवती महिलाओं को आपात तौर पर चिकित्सीय सहायता की जरूरत है। एजेंसी का कहना है कि बाढ़ प्रभावित इलाके में रह रहीं इन 6.5 लाख महिलाओं में 73 हजार की डिलीवरी डेट अगले महीने तक आ जानी है। यानी उन्हें सबसे पहले मदद की जरूरत होगी। डॉन न्यूज के मुताबिक, यूएनएफपीए और अन्य एजेंसियों ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में मदद पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है।

भारी बारिश से आई बाढ़ ने सिर्फ आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त ही नहीं किया है, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को भी मुश्किल में डा दिया है। दरअसल, लगातार बाढ़ की स्थिति रहने की वजह से ज्यादातर इलाकों में पानी ठहर गया है। ऐसे में कीचड़ और मलबे के बीच गंदे पानी में मलेरिया, कोलेरा और त्वचा की बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ा है। मौजूदा समय में जितने भी मरीज अस्पतालों तक पहुंच पा रहे हैं, उन्हें गंदे पानी से पैदा होने वाली बीमारियों से ही पीड़ित पाया जा रहा है। सिंध प्रांत के बाढ़ प्रभावित भांबरो के एक क्लिनिक के डॉक्टर अब्दुल अजीज के मुताबिक, इस वक्त मरीजों में स्केबीज (खुजली) और फंगल इन्फेक्शन सबसे ज्यादा पाया जा रहा है। एक और डॉक्टर सज्जाद मेमन के मुताबिक, बाढ़ में अपना सबकुछ गंवा देने वालों के पास अस्पताल तक पहनकर आने के लिए कपड़े और जूते तक नहीं हैं।

Share:

अंकिता हत्याकांड: पिता ने कहा- हत्या में कहीं न कहीं बांग्लादेश का कनेक्शन

Wed Aug 31 , 2022
रांची: अंकिता हत्याकांड (ankita murder case) में बुधवार को दुमका में खासी गहमागहमी देखने को मिली. अंकिता के परिजनों से मिलने कई जनप्रतिनिधि और विभिन्न राजनीतिक संगठनों (public representatives and various political organizations) के लोग दुमका पहुंचे. इस दरमियान बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल (BJP delegation) ने अंकिता के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें 28 लाख रुपए […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
मंगलवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved