नई दिल्ली । वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Commerce and Industry Minister Piyush Goyal) ने कहा कि अब तक 14 सेक्टर में (So far in 14 Sectors) पीएलआई योजनाओं के तहत (Under PLI Schemes) 764 आवेदनों को मंजूरी दी गई (764 Applications have been Approved) । पीयूष गोयल द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, केंद्र की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 1.46 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने में सफल रही और इसी के साथ 9.5 लाख से अधिक नौकरियां पैदा हुईं।
निचले सदन में एक लिखित जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब तक 14 सेक्टर में पीएलआई योजनाओं के तहत 764 आवेदनों को मंजूरी दी गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “अगस्त 2024 तक 14 सेक्टर में 1.46 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप 12.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक का इंक्रीमेंटल प्रोडक्शन /सेल्स, 9.5 लाख से अधिक रोजगार सृजन और 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात हुआ है।” उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 2022-23 और 2023-24 के दौरान आठ सेक्टर में 2,968 करोड़ रुपये और नौ सेक्टर में 6,753 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन वितरित किया गया है। केंद्रीय मंत्री गोयल ने बताया कि भारत के आत्मनिर्भर बनने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी और निर्यात को बढ़ाने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 14 प्रमुख सेक्टर के लिए पीएलआई योजनाओं की घोषणा की गई है।
गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दस वर्षों में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के भीतर इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और मशीनरी जैसे कैपिटल इंटेंसिव सब सेक्टर में रोजगार और निर्यात दोनों में बड़ी वृद्धि देखी गई है। प्रतिस्पर्धा और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बदलाव के केंद्र में पीएलआई योजनाएं हैं, जो घरेलू उत्पादन को बढ़ाने, तकनीकी प्रगति को प्रोत्साहित करने और विदेशी और स्थानीय निवेश को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण बनी हुई है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत के पूंजी-प्रधान उद्योगों में वृद्धि में उछाल आया है, क्योंकि सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और दवा उत्पादों की असेंबली को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसके परिणामस्वरूप विकसित बाजारों में निर्यात के सफल परिणाम सामने आए हैं, जो दोहरे अंकों की वृद्धि का अनुभव कर रहे हैं। यह अधिक उच्च-मूल्य वाले उत्पादों को शामिल करने वाली एक्सपोर्ट बास्केट बनाने में भारत की प्रगति को भी दर्शाता है।
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