इंदौर। जब से शैक्षणिक संस्थाएं बंद हुई हैं तब से स्कूल संचालकों और पालकों के बीच फीस के मुद्दे पर विवाद चल रहा है। इस मामले में अदालत का दरवाजा भी पालकों ने खटखटाया, तो अभी इंदौर आए मुख्यमंत्री की गाड़ी रोककर एक महिला पालक ने निजी स्कूल की शिकायत भी की, उसके बाद भोपाल से जहां सरक्युलर जारी हुआ, वहीं संभागायुक्त ने भी बैठक बुलाई, जिसमें पालकों की ओर से बताया गया कि फीस नहीं देने वाले 76 छात्रों को ऑनलाइन क्लास से वंचित कर दिया। इस पर संभागायुक्त ने शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि किसी भी छात्र को इस तरह से वंचित ना किया जाए और सभी स्कूल संचालकों को यह जानकारी दें।
अभी स्कूल, कॉलेज, क्लास सहित सभी तरह की शैक्षणिक गतिविधियां बंद हैं और ऑनलाइन ही पढ़ाई हो रही है। एक तरफ स्कूल संचालकों का कहना है कि वे अगर फीस नहीं लेंगे तो शिक्षकों और अन्य स्टाफ को तनख्वाह कहां से बाटेंगे? वहीं बिजली, पानी से लेकर सम्पत्ति कर भी चुकाना पड़ता है। संभागायुक्त के साथ हुई इस चर्चा में भी टैक्स में छूट का यह मामला उठा, जिस पर संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने इस संबंध में प्रयास किए जाने का आश्वासन दिया। जागो पालक जागो के साथ हुई इस बैठक में 76 ऐसे विद्यार्थियों की सूची भी एड्व्होकेट चंचल गुप्ता ने प्रस्तुत की, जिन्हें फीस ना देने के कारण ऑनलाइन क्लास से वंचित कर दिया था, जिसे संभागायुक्त ने गंभीर माना और शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि सभी स्कूल संचालकों को सरक्युलर भिजवाया जाए कि फीस के कारण ऑनलाइन क्लास, टेस्ट या अन्य किसी गतिविधि से छात्र को वंचित नहीं किया जा सकता है। लिहाजा शिक्षा अधिकारी ने सभी स्कूल संचालकों के नाम इस आशय का सर्कुलर जारी भी कर दिया। पालकों की ओर से इंदौर पेरेंट्स एसोसिएशन के अनुरोध जैन, मुख्यमंत्री की गाड़ी रोकने वाली महिला कंचन मसंद, सिद्धार्थ टंडन के अलावा चोइथराम स्कूल पालक संघ के रितेश अग्रवाल भी शामिल रहे। इन पालकों का कहना था कि ऑनलाइन क्लास की फीस तय की जाए। अभी जो स्कूलों द्वारा फीस मांगी जा रही है वह फिजिकल क्लास स्टडी के मुताबिक मांगी जा रही है। आपातकालीन परिस्थितियों के लिए हर मान्यता प्राप्त स्कूल के पास रिजर्व फंड रहता है, जिसका इस्तेमाल अभी स्कूल संचालन और शिक्षकों के वेतन देने पर किया जाए। वहीं सम्पत्ति कर, बिजली बिल, परमिट, आरटीओ टैक्स में भी छूट मिले, ताकि इसका फायदा ट्यूशन फीस में स्कूल संचालक दे सकें। सभी स्कूलों में एक मैनेजमेंट कमेटी बनाई जाए, जिस पर लॉटरी सिस्टम से पालक प्रतिनिधि का चयन हो।
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