भोपाल। भाजपा में हर चुनाव से पहले 75 साल से ऊपर हो चुके नेताओं को टिकट नहीं दिए जाने की चर्चा कई बार चलती रही है। इस फार्मूले के बाहर आते ही पार्टी के 75 की उम्र पूरा कर चुके नेताओं पर दबाव पडऩे लग जाता है, लेकिन मजेदार की बात यह है कि पार्टी इसका पालन कभी नहीं कर पाई। अब कई नेता स्वयं ही अगला विधानसभा चुनाव नहीं लडऩे का ऐलान कर चुके हैं। आज फिर भाजपा के वरिष्ठ नेता नागेंद्र सिंह नागौर में खुलकर ऐलान कर दिया है कि अब वह चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे। इसके 7 दिन पहले ही बालाघाट से विधायक गौरीशंकर बिसेन चुनाव नहीं लडऩे का ऐलान कर चुके हैं। इन नेताओं ने उम्र का हवाला देकर किनारा करने की बात कर दी है। लेकिन इन नेताओं के बयान से पार्टी के अन्य नेताओं की मुसीबत जरूर बढ़ गई है, जो 75 साल की उम्र के हैं या उसके आसपास हो गए हैं, लेकिन चुनावी सियासत नहीं छोडऩा चाहते।
यहां भी परिवारवाद
गौरीशंकर बिसेन और नागेंद्र सिंह ने चुनावी राजनीति छोडऩे का ऐलान जरूर किया है, लेकिन बिसेन ने सार्वजनिक रूप से विधानसभा सीट छोडऩे के साथ ऐलान कर दिया था कि बालाघाट से उनकी बेटी मौसम बिसेन उनके चुनावी विरासत संभालेंगी। वहीं दूसरी ओर 80 साल के हो चुके नागेंद्र सिंह नागौर का कहना है कि ना तो वह चुनाव लड़ेंगे और ना ही उनके दोनों बेटे राजनीति में आएंगे। उचेहरा में उनका भतीजा कृष्ण देव सिंह उनकी विधानसभा सीट का भावी उम्मीदवार माना जा रहा है।
इनकी ये स्थिति
नागेन्द्र सिंह नागौद 80 के ऊपर हैं, उन्होंने खुद ही चुनाव लडऩे से इनकार किया है। गोपीलाल जाटव 75 साल क्रॉस कर चुके हैं। इसी तरह त्योंथर से शयमलाल द्विवेदी 74 साल 1 माह हो गए हैं। विधानसभा स्पीकर भी 70 क्रॉस कर रहे हैं। यही स्थिति कमोबेश मंत्री गोपाल भार्गव की है।
निकाय चुनाव में सख्त रुख
उम्र के इस पड़ाव पर भाजपा के तमाम दिग्गज नेता अपने बेटे-बेटियों के टिकट की आस लगाए राजनीति से सन्यास की बात कर रहे हैं, लेकिन उनके सामने बड़ी मुश्किल यह है कि पार्टी परिवारवाद को लेकर बेहद सख्त दिखाई दे रही है। इसका ताजा उदाहरण नगरी निकाय चुनाव में देखने को मिला, भाजपा के तमाम दिग्गजों की सिफारिशों के बावजूद उनके अपने सगे संबंधियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
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