इंदौर (Indore)। टेक्सटाइल पार्क की जमीन (Textile Park Land) पर काबिज आदिवासी किसानों ने रविवार को धरना प्रदर्शन आयोजित किया, जिसका समाचार अग्निबाण ने कल प्रकाशित किया था, उसके पश्चात एमपीआईडीसी के अधिकारी मौके पर पहुंचे और कल दिनभर वहीं रहकर सर्वे भी करवाया। लगभग 74 कच्चे-पक्के मकान पार्क के बीच की जमीन पर काबिज हैं, उन्हें विस्थापित करने की योजना बनाई जा रही है, वहीं 125 मकान ऐसे हैं, जो पार्क की बाउण्ड्री पर आ रहे थे, उन्हें बचाया भी लिया है। हालांकि धरना देने वाले आदिवासी किसानों ने आरोप लगाया कि एक हजार से अधिक परिवारों को बेघर किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि धार जिले के भैंसोला में 1563 एकड़ पर यह मेगा टेक्सटाइल पार्क विकसित किया जा रहा है, जिसमें शुरुआत में ही 8 से 9 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त भी हो गए हैं।
केन्द्र सरकार ने देशभर में ऐसे 7 पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क मंजूर किए हैं, जिनको कपड़ा मंत्रालय द्वारा 500-500 करोड़ रुपए की राशि विकास कार्यों के लिए भी दी जाएगी। मध्यप्रदेश सरकार ने भैंसोला में टेक्सटाइल पार्क के लिए 1563 एकड़ जमीन चिन्हित कर रखी थी। हालांकि इनमें अधिकांश जमीन सरकारी ही है, मगर सालों से जमीन खाली पड़ी थी, लिहाजा किसानों ने खेती शुरू कर दी, वहीं कुछ सरकारी पट्टे भी खेती, किसानी और रहने के लिए बांटे गए थे। अभी पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने इस टेक्सटाइल पार्क के लिए केन्द्र सरकार के साथ एमओयू भी साइन किया, जिसमें पीयूष गोयल भी मौजूद रहे। दूसरी तरफ एमपीआईडीसी ने एप्रोच रोड और जमीन को समतल करने की टेंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी और जल्द मौके पर काम भी शुरू हो जाएगा, लेकिन जमीन पर काबिज ग्राामीणों-किसानों ने इस पार्क का विरोध शुरू कर दिया। चूंकि विधानसभा चुनाव भी है, इसलिए भी हल्ला मचा और जमीन बचाओ संघर्ष समिति भी गठित हो गई। दरअसल 10 गांवों की जमीन इस टेक्सटाइल पार्क में आ रही है।
एमपीआईडीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक रोहन सक्सेना का कहना है कि कल वे मौके पर गए और दिनभर मौजूद रहकर सर्वे भी करवाया। लगभग 74 कच्चे-पक्के मकान बीच में आ रहे हैं, उन्हें वहीं आसपास स्थापित किया जाएगा। इसके लिए शासन स्तर पर निर्णय होना है, वहीं 125 मकान, जो पार्क की बाउण्ड्री पर आ रहे थे, उन्हें बचा भी लिया है। यानी इन मकानों को हटाना नहीं पड़ेगा। सक्सेना का यह भी कहना है कि हालांकि टेक्सटाइल पार्क के आने से क्षेत्र के हजारों लोगों को रोजगार तो मिलेगा ही, वहीं अन्य विकास भी होगा। एप्रोच रोड, जमीन समतल करने के टेंडर भी अंतिम प्रक्रिया में है, जिनकी मंजूरी के बाद काम शुरू करवा दिया जाएगा। कई बड़ी गारमेंट और टेक्सटाइल कम्पनियों ने शुरुआत में ही अपने निवेश प्रस्ताव सौंपे हैं और जो जमीन पार्क के लिए चिन्हित की गई है, उनमें अधिकांश सरकारी ही है। थोड़ी जमीन बीच-बीच में निजी है, उनका भी विस्तृत सर्वे करवाया जा रहा है। भैंसोला के साथ धनेरा, गरवाड़ा, खेड़ा, बाघापाड़ा, ढोलीकुआं, खाकरोड़ा सहित 10 गांवों की जमीन इस टेक्सटाइल पार्क में ली गई है और अभी रविवार को बड़ी संख्या में आदिवासी किसानों ने इसके विरोध में धरना दिया और साथ ही बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दे डाली। चूंकि अभी चुनावी साल है और शासन भी धड़ाधड़ घोषणाएं कर रहा है। ऐसे में पार्क का विरोध करने वाले आदिवासी किसानों को भी विस्थापित अवश्य किया जाएगा। चूंकि अभी कोई नाराजगी भी नहीं लेना चाहते और जबरदस्ती हटाया भी नहीं जा सकता। अब देखना है, शासन पुनर्वास और विस्थापन को लेकर क्या निर्णय लेता है।
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