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    देश में 72 प्रतिशत मरीज कर रहे Antibiotics दवाओं का सेवन, 86.5% इंजेक्शन से ले रहे

  • January 03, 2024

    नई दिल्ली (New Delhi)। एंटीबायोटिक दवाओं (Antibiotic medicines) को लेकर पहला अध्ययन (first study) सामने आया है। देश में 72 फीसदी मरीज (72 percent patients in the country) एंटीबायोटिक दवाओं (Antibiotic medicines) का सेवन कर रहे हैं। इनमें से 86.5% इंजेक्शन के जरिये ये दवाएं ले रहे हैं। 17 राज्यों के 20 अस्पतालों में नवंबर 2021 से अप्रैल 2022 के बीच यह अध्ययन किया गया है।

    अध्ययन में यह भी पता चला कि जो मरीज आईसीयू में भर्ती हैं उनमें से 78.9 फीसदी एंटीबायोटिक दवाओं पर हैं। वहीं, बाल रोग विभाग के वार्ड में भर्ती 68 फीसदी से ज्यादा बच्चों को ये दवाएं दी जा रही हैं। कुछ अस्पताल ऐसे भी हैं, जहां इन दवाओं का सेवन करने वाले रोगियों का आंकड़ा 100 फीसदी तक है। यह अध्ययन राष्ट्रीय रोगाणुरोधी उपभोग नेटवर्क (एनएसी-नेट) के जरिये नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने किया जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन है।


    अस्पतालों से ऐसी दवाएं लिखी हुईं 12,342 पर्चियां मिलीं
    अध्ययन के अनुसार, सभी अस्पतालों से 12,342 डॉक्टर की पर्ची एकत्रित की गईं जिन पर एंटीबायोटिक दवाएं लिखी थीं। 47% पर्ची पर एक एंटीबायोटिक, 35 पर दो और 18 फीसदी पर तीन या उससे अधिक दवाएं शामिल हैं। मेडिसिन, सर्जरी व प्रसूति रोग विभाग की पर्चियों पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल मिला जिनमें से केवल 6% मरीज निश्चित चिकित्सा पर थे यानी उन्हें इन दवाओं की सख्त जरूरत थी। 45% रोगियों को चिकित्सीय संकेतों के लिए और 55% को रोगनिरोधी संकेतों के लिए ये दवा दी गईं।

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया, एनसीडीसी 2017 से देश के 35 अस्पतालों में एंटीबायोटिक खपत की निगरानी कर रहा है। साथ ही इन दवाओं के इस्तेमाल को लेकर प्वाइंट प्रिवलेंस सर्वे के जरिये प्रशिक्षण कार्यशाला भी आयोजित की जा रही हैं।

    केंद्र ने राज्यों से साझा किए परिणाम
    राज्यों के साथ इस अध्ययन को साझा करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि एंटीबायोटिक दवाओं को लेकर जमीनी स्तर पर काफी प्रयास करने की जरूरत है जिसके लिए जिला से ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों तक स्वास्थ्य कर्मचारियों को यह बताना होगा कि एंटीबायोटिक दवाओं की वजह से मरीज गंभीर स्वास्थ्य परेशानियों का सामना कर सकते हैं।

    डॉ. अतुल गोयल, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक, केंद्र सरकार का कहना है कि यह सच है कि हमारे पास काफी सीमित जानकारी है कि रोगी के स्तर पर एंटीबायोटिक कैसे निर्धारित और उपयोग किए जाते हैं। इसके लिए डब्ल्यूएचओ ने अस्पतालों में प्रिस्क्राइबिंग पैटर्न को समझने के लिए ग्लोबल पॉइंट प्रिवलेंस सर्वे सिस्टम बनाया है जिसका इस्तेमाल इस पहले अध्ययन में किया गया। मुझे पूरी उम्मीद है कि एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन सीमित करने में यह रिपोर्ट काफी सहायक होगी।

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