पीले सोने की रंगत बिगड़ी, किसानों की मेहनत पर फिरा पानी
इंदौर, कमलेश्वर सिंह सिसोदिया।
इस साल सोयाबीन की फसल 1 सप्ताह पहले तक बंपर उत्पादन की उम्मीद पर थी लेकिन ऐसा प्रकोप आया कि फसल खड़ी ही सूखने लगी और किसान की मेहनत बर्बाद हो गई, ताज्जुब की बात तो यह है इस बार खरीफ फसल का बीमा 35 फ़ीसदी किसानों ने ही कराया है, बड़ी संख्या में किसानों ने फसल बीमा नहीं कराया, अभी फसल बीमा के लिए 31 अगस्त तक का समय किसानों के पास है।
इंदौर जिले में करीब दो लाख 15 हजार हेक्टेयर जमीन पर सोयाबीन की फसल बोई गई है, किसानों की मानें तो 70 फ़ीसदी फसल खराब हो चुकी है जिसमें येलो मोजैक वायरस, स्टीम जैसी बीमारियों का प्रकोप है, वहीं कृषि विभाग 50 फ़ीसदी आंकड़ा भी फिलहाल घोषित नहीं कर रहा। कलेक्टर ने कृषि विभाग के आला अधिकारियों से लेकर मैदानी अमले से चर्चा की और फसल बीमारी के लिए किसानों के बीच जाने को कहा है। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि जो खड़ी फसल सूख रही है उस पर टैबु कोनो झाल 625 ग्राम प्रति हेक्टर हॉट 1 किलो सल्फर का छिडक़ाव किसानों को करना चाहिए। कुल मिलाकर मालवा में पीले सोने के नाम से मशहूर सोयाबीन की रंगत खराब हो चुकी है जो कि किसानों के लिए भारी नुकसान बताया जा रहा है।
खेतों के पास से गुजरना मुश्किल
जहां सोयाबीन पर अत्यधिक प्रकोप हुआ है उनमें से कुछ खेतों और गांव की हालत ज्यादा खराब हो रही है, वहां पर सोयाबीन की खड़ी फसल सूखने से अब आसपास बदबू फैल रही है , जिससे कि वहां से गुजरना मुश्किल हो रहा है।
31 तक बीमा पर जोर, 1 के बाद सर्वे
गत वर्ष 70000 किसानों ने फसल बीमा करवाया था इस बार 45 हजार के करीब किसानों ने ही खरीफ सीजन में बीमा लिया है, कलेक्टर और आला अधिकारियों ने निर्देश जारी किए हैं कि 31 अगस्त तक ज्यादा से ज्यादा किसानों का फसल बीमा किया जाए। इंदौर जिले में तकरीबन 132000 किसान हैं। फसल नुकसानी सर्वे के लिए पटवारी ग्राम सेवक को आदेश जारी हो चुके हैं पहले सभी का जोर फसल बीमा पर है इसके बाद 1 सितंबर से नुकसानी का सर्वे किया जाएगा।
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