नई दिल्ली। सरकार का पूंजीगत खर्च मई, 2022 में 70 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया। वित्त मंत्रालय ने मसिक आर्थिक रिपोर्ट में कहा कि ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद राजकोषीय घाटे को जीडीपी अनुपात में बनाए रखते हुए पूंजीगत खर्च बढ़ाया गया है। मौजूदा हालात में यह सरकार के प्रसायों से ही संभव हो पाया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था कोरोना के झटकों से उबरकर सुधार के रास्ते पर है। लेकिन, प्रतिकूल वैश्विक हालातों की वजह से जोखिम बना हुआ है। महंगाई को मोर्चे पर कहा गया है कि कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों की वजह से घरेलू स्तर पर महंगाई बढ़ रही है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि बढ़ती महंगाई एक बाधा हो सकती है, लेकिन मजबूत जीएसटी संग्रह, सीमा शुल्क में वृद्धि, सेवाओं का निर्यात बढ़ने और अप्रत्याशित लाभ कर लगाने से सरकार की कमाई बढ़ेगी। राजकोषीय घाटे को भी काबू रखने में मदद मिलेगी।
अर्थव्यवस्था में सुधार को और गति देने के लिए सरकार सार्वजनिक खर्च व निवेश पर जोर दे रही है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा, भारत की दीर्घकालिक वृद्धि की संभावनाएं सार्वजनिक पूंजीगत खर्च कार्यक्रमों में अंतर्निहित हैं।
इंडोनेशिया के बाली में जी-20 देशों के वित्तमंत्रियों एवं केंद्रीय बैंकों के गर्वनरों की तीसरी बैठक में उन्होंने कहा, कोरोना से प्रभावित आर्थिक वृद्धि में तेजी के लिए पूंजीगत खर्च पर जोर दिया गया है। सार्वजनिक खर्च बढ़ने से निजी निवेश भी जोर पकड़ेगा। 2022-23 के लिए पूंजीगत खर्च को 35.4% बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ किया गया है।
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