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    सोसायटियों में 70, निजी विक्रेताओं को मिलेगा 30 प्रतिशत खाद

  • November 07, 2020

    • अभी तक 55 प्रतिशत सरकारी व 45 निजी को जाता था

    भोपाल। शासन स्तर पर मिलने वाले खाद की लिमिट अब सरकारी गोडाउन, सोसाटियों के लिए बढ़ाई गई है। अब 70 फीसदी खाद सोसाटियों को भेजा जाएगा और बचा हुआ 30 प्रतिशत ही निजी हाथों में जाएगा। पहले यह लिमिट 55 सरकारी के लिए और 45 निजी विक्रेताओं के लिए थी।
    दरअसल, प्रदेश में खाद की किल्लत और कालाबाजारी के बाद सरकार ने सख्ती दिखाई है। गौरतलब है कि प्रदेश में खाद की कालाबाजारी से किसान परेशान हैं। हालांकि भले ही शासन ने खाद की लिमिटि निजी विक्रेताओं के लिए घटा दी हो लेकिन बड़े तादाद में वे ही इसकी कालाबाजारी करते हैं। ऐसे किसान जो सोसायटियों से खाद नहीं जुटा पाते उन्हें मजबूरन निजी विक्रेताओं का ही सहारा लेना होता है। ऐसे में पूरी तरह से कालाबाजारी पर अंकुश लगाना प्रायोगिक तौर पर संभव नहीं दिखता।

    कालाबाजारी पर नजर रखने बनाई विशेष टीमें
    सभी जिलों में कृषि, विपणन, खाद्य व जिला प्रशासन की विशेष टीम खाद की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए बनाई गई है। ये टीमें रेंडमली जिले में भ्रमण करेंगी और निरीक्षण करेंगी, जिसमें देखा जाएगा कि कहीं गलत स्टॉक तो नहीं है, दूसरा यह भी तय किया जाएगा कि दो नंबर में कोई खाद की ब्लैक मार्केटिंग तो नहीं कर रहा। इसके लिए टीमों ने भ्रमण करना शुरू कर भी दिया है। ये टीमें न सिर्फ स्टॉक बल्कि सैलिंग कैपिसिटी इत्यादि की जांच खाद विक्रेताओं के यहां कर रही है।

    ज्यादा खाद से पौधे बढ़ेंगे लेकिन रोग का प्रकोप बढ़ेगा
    कृषि विभाग के अनुसार प्रति हैक्टेयर 20 किलो नाइट्रोजन डालने का नियम है। ऐसे में प्रति बीघा एक बोरी यूरिया खाद काफी माना जाएगा। इससे ज्यादा डालना पैदावार के लिए गलत माना जाता है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि किसान ज्यादा पैदावार के फेर में खाद ज्यादा डाल देते हैं, जिससे वानस्पतिक वृद्धि तो हो जाती है लेकिन उनमें रोगों, कीटों का प्रकोप भी उसी रफ्तार से बढ़ जाता है। ऐसे में सीमित और नियमानुसार ही इसका उपयोग करना चाहिए।

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