उज्जैन। 11 सितंबर सोमवार को बाबा महाकाल की शाही और अंतिम सवारी निकाली जाएगी। सवारी को शाही सवारी के पारंपरिक मार्ग से ही निकला जाएगा। मंदिर प्रबंध समिति द्वारा शाही सवारी के लिए कई निर्णय लिए गए हैं, वहीं पुलिस विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा भी बैठक लेकर सुरक्षा व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जाएगा। सवारी में 5 लाख से अधिक लोगों के आने की संभावना है। इस वर्ष अधिक मास होने के कारण दो माह के सावन थे और बाबा महाकाल की कुल 10 सवारियाँ निकालने का निर्णय लिया गया था। महाकाल की अंतिम शाही एवं दसवीं सवारी सोमवार 11 सितंबर को निकली जाएगी।
इस सवारी के लिए शहर को दुल्हन की तरह सजाया जाएगा। शाही सवारी में महाकाल की फूलों से सजी पालकी, भजन मंडलियाँ, आकर्षक बैंड, आकर्षक वेशभूषा से सजे पुलिस के घुड़सवार और सशस्त्र पुलिस के दल के साथ महाकाल शाही सवारी के रूप में नगर भ्रमण पर निकलेंगे। शाही सवारी को हर वर्ष की तरह पारंपरिक मार्ग से ही निकला जाएगा। महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जुनवाल ने अग्निबाण को बताया कि इस वर्ष प्रदेश भर की 70 भजन मंडलियों को शाही सवारी में शामिल होने की अनुमति दी गई है जिसमें प्रमुख रूप से उज्जैन सहित इंदौर, रतलाम, खिलचीपुर, बडऩगर, जीरापुर, देवास और इसाकपुर की भजन मंडलियाँ शाही सवारी में शामिल होंगी। प्रत्येक भजन मंडली में 50 लोगों की संख्या निर्धारित की गई है। शाही सवारी में पांच बैंड को अनुमति दी गई है जिनमें प्रमुख रूप से गणेश बैंड, भारत बैंड, रमेश बैंड, आर.के. बैंड और राजकमल म्यूजिकल बैंड शामिल किए गए हैं। सवारी के बाद जब जनता लौटेगी तो स्वागत मंचों से केले एवं चाकलेट के प्रसाद वितरण पर प्रतिबंध लगाया गया है।
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