भोपाल। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव से पहले प्रदेश सरकार (State Government) लाखों लोगों को राहत देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए प्रदेश की सात हजार अवैध कॉलोनियों (Illegal Colonies) को वैध किया जाएगा। सरकार इस संदर्भ में 6 जुलाई को होने वाली कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) में प्रस्ताव लाने जा रही है। कैबिनेट (Cabinet) से हरी झंडी मिलने के बाद विधानसभा के मानसून सत्र में इसे मंजूरी के लिए लाग आएगा। बताया जा रहा है कि अवैध कॉलोनियों (Illegal Colonies) में मकान या प्लॉट खरीदने वालों पर कार्रवाई न करने का प्रावधान इसमें किया गया है। उनसे नियमितीकरण के एवज में मामूली शुल्क लिया जाएगा। इधर, अवैध कॉलोनाइजर्स (Colonizers) पर सरकार पहले ही शिकंजा कसना शुरू कर चुकी है। जनके खिलाफ एफआईआर (FIR) कराई जा रही है।
भाजपा सरकार (BJP Governement) ने पिछले कार्यकाल में ही अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की कोशिश शुरू की थी, लेकिन इसमें कानूनी पेच फंस गया। इस प्रक्रिया को हाईकोर्ट (High Court) में चुनौती दे दी गई। इस पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने कहा था कि नियम में तो नियमितीकरण शब्द है पर नगर पालिक निगम अधिनियम में कहीं इसका जिक्र नहीं है। इस वजह से कॉलोनियों को वैध करने की कवायद रूक गई थी। अब इसका रास्ता निकाल लिया गया है। अब अध्यादेश या नया एक्ट लाया जाएगा। कैबिनेट और विधानसभा से अनुमोदन होने पर अवैध कॉलोनियों (Illegal Colonies) के नियमितीकरण में कोई मुश्किल नहीं होगी।
कॉलोनाइजर के खिलाफ होगी एफआईआर
अवैध कॉलोनी काटने वाले कॉलोनाइजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। प्लाट खरीदकर मकान बनाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। अवैध कालोनी बनने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी, एफआईआर दर्ज नहीं होगी। समय सीमा के अंदर अवैध कॉलोनी में रहने वालों को जमा करना होगा विकास व अन्य शुल्क। कॉलोनाइजर के बचे प्लाट बेचकर भी कालोनी का विकास किया जा सकता है। भविष्य में अवैध कालोनी न बने इसकी जिम्मेदारी संबंधित नगर निकाय के अधिकारियों की होगी।
सड़क और नालों पर बने मकान नहीं होंगे वैध
अवैध कॉलोनियों में भी सड़क और नालों पर बने मकानों को वैध नहीं किया जा सकेगा। अवैध कॉलोनियों में बिजली, पानी और सीवर लाइन का काम सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं से कराएगी। नाली, रोड, कल्बर्ट, प्लांटेशन जैसे विकास कार्यों की कुल लागत का 20 से 50 फीसदी पैसा देकर रहवासी इसे नियमित करा सकेंगे। सांसद और विधायक निधि से होने वाले काम भी इसमें शामिल माने जाएंगे। ऐसी कॉलोनियां जिनमें निम्न आय वर्ग के 70 फीसदी से अधिक रहवासी निवास करते हैं, वहां विकास राशि का 20 प्रतिशत लोगों से लिया जाएगा। बाकी राशि की व्यवस्था संबंधित निकाय करेगा। अन्य कॉलोनियों में विकास राशि का 50 प्रतिशत रहवासियों से लिया जाएगा। निकाय बाकी पैसा खर्च करेगा। कॉलोनी के ले-आउट में सार्वजनिक सुविधाओं के लिए खुली जमीन न होने पर सक्षम अधिकारी इसकी लागत का आकलन करेगा। साथ ही कॉलोनाइजर से इससे डेढ़ गुना रकम वसूलेगा। अधिसूचना जारी होने के बाद सक्षम अधिकारी को अवैध कॉलोनियों की मूलभूत सुविधाओं समेत विकास कार्य के लिए 30 दिन के भीतर एस्टीमेट और लेआउट तैयार करना होगा। इस पर एक मौका देते हुए 15 दिन के भीतर रहवासियों और कॉलोनाइजर से चर्चा के लिए बैठक बुलाई जाएगी। अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए रहवासियों से मिलने वाले संपत्ति कर, भवन अनुज्ञा फीस और प्रशमन शुल्क वगैरह का उपयोग विकास कार्यो में किया जा सकेगा।
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