इंदौर। प्रदेश में कक्षा आठवीं तक की शिक्षा व्यवस्था राज्य शिक्षा केंद्र के अंतर्गत संचालित हो रही है। इस बार बोर्ड पैटर्न पर पांचवीं-आठवीं की परीक्षा बिना तैयारी के आयोजित की गई थी। परिणाम में खामियों के चलते अभिभावक और विद्यार्थियों में आक्रोश के बाद फिर से परिणाम जारी हुआ, वहीं अप्रैल में हुई परीक्षा मूल अंक सूची का इंतजार अभी भी छात्रों को बना हुआ है।
मध्य प्रदेश में तकरीबन 24 लाख छात्र पांचवीं और आठवीं की परीक्षाओं में शामिल हुए थे। अप्रैल में हुई इस परीक्षा का परिणाम जून के आखिर में राज्य शिक्षा केंद्र ने भोपाल से एक साथ जारी किया था। परिणाम में खामियों के चलते इसे फिर से जारी करना पड़ा था, जिसमें राज्य शिक्षा केंद्र की किरकिरी भी हुई थी। शैक्षणिक सत्र आधा होने को है। अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी चल रही है, लेकिन छात्रों को मूल अंक सूची (रंगीन मार्कशीट) अभी तक नहीं मिल पाई है। दरअसल राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से ऑनलाइन प्रोविजनल मार्कशीट अपलोड की गई थी। यह विद्यार्थियों को दी जा रही है, लेकिन मूलांक सूची राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से जारी नहीं हुई है। इंदौर जिले में तकरीबन 90 हजार विद्यार्थियों ने पांचवीं-आठवीं की परीक्षा दी थी, जिन्हें मूल अंकसूची का इंतजार है।
निजी स्कूलों ने वसूली अतिरिक्त राशि
पांचवीं-आठवीं की मूल अंकसूची सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को मुफ्त दी जानी है, लेकिन निजी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों से प्रबंधन ने इसके लिए 40 से 80 रुपए तक राशि अलग से ली है। अभिभावक कई बार स्कूलों के चक्कर भी लगाते रहे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत आठवीं पास कर नौवीं में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को रही है। स्कूल प्रबंधन ने ऑनलाइन प्रोविजनल मार्कशीट पर सील-साइन कर विद्यार्थियों को मार्कशीट दे दी थी, लेकिन मूल अंकसूची का उन्हें इंतजार है।
पिछले वर्ष की भी सालभर बाद मिली थी अंकसूची
वर्ष 21-22 में पांचवीं-आठवीं परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को मूल अंकसूची भी तकरीबन 1 साल के बाद ही मिल पाई थी। ऐसे में इस बार की अंकसूची कब मिलेगी, इस पर भोपाल के अधिकारी यह कह रहे हैं कि हमने निर्देश दे दिए हैं, जबकि जिला व संकुल स्तर पर इस बारे में अभी कोई कार्रवाई नजर नहीं आ रही है।
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