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सिंहस्थ के लिए 69 वर्ष पुराना ब्रिटिश कानून बदला जाएगा

June 02, 2024

नए कानून में मेला क्षेत्र की जमीन पर अतिक्रमण और भ्रष्टाचार पर सख्त सजा का प्रावधान-अभी मेला अधिनियम के तहत 17 धाराएं हैं जो बढक़र 70 हो जाएंगी

उज्जैन। 2028 में उज्जैन (Ujjain) में लगने वाले सिंहस्थ (Simhastha) मेले के पहले प्रदेश सरकार (State Government) 69 साल पुराना (69 year old ) ब्रिटिश कानून (British law) खत्म करने की तैयारी कर रही है। पुराने कानून में 17 धाराएं हैं जिन्हें बढ़ाकर 70 की जाएंगी। ब्रिटिश शासन के दौरान, उज्जैन सिंहस्थ किसी रियासत में आयोजित होने वाला एकमात्र कुंभ मेला था। जबकि हरिद्वार, प्रयाग और त्र्यम्बक-नासिक सीधे ब्रिटिश द्वारा शासित क्षेत्रों का हिस्सा थे। उज्जैन सिंधिया (शिंदे) राजवंश द्वारा शासित ग्वालियर राज्य का हिस्सा था, तभी से यह कानून चला आ रहा है।


उज्जैन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का गृहक्षेत्र होने से उज्जैन में सिंहस्थ 2028 की तैयारी प्रदेश सरकार ने जोर-शोर से शुरू कर दी है लेकिन इसके पहले सरकार 69 वर्ष पुराने ब्रिटिश कानून को बदलने जा रही है। सभी विभागों से रायशुमारी के बाद पुराने कानून को बदलकर सख्त सजा और जुर्माने के प्रावधान के साथ, नए कानून को लागू किया जाएगा। नए प्रावधान में 70 से ज्यादा धाराएं बढ़ाई जाएंगी। 2028 को उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ में 15 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के जुटने के अनुमान के बाद कानून में बदलाव की तैयारी भी कर ली गई है। भूमि प्रबंधन से लेकर क्राउड मैनेजमेंट तक के लिए नए नियमों की जरूरत महसूस की गई है। ऐसे में नए कानून का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। मेला क्षेत्र के लिए आरक्षित जमीन पर अतिक्रमण, कब्जा करने से लेकर दूसरी गड़बडिय़ों में सख्त सजा व जुर्माने के प्रावधान होंगे। नए कानून में मुख्य रूप से भूमि प्रबंधन को लेकर नए नियम रहेंगे। हर 12 साल बाद होने वाले सिंहस्थ के लिए इसमें स्थायी इंतजाम रहेंगे।

प्राथमिकता से हो रहे काम
सीएम डॉ. मोहन यादव का गृह क्षेत्र उज्जैन होने से प्राथमिकता से लेकर सभी काम हो रहे है। अभी मेला अधिनियम 1955 में करीब 17 धाराएं हैं। नए कानून में 70 से ज्यादा धाराएं होंगी। इसमें स्थायी-अस्थायी निर्माण, धार्मिक पर्यटन, कानून व्यवस्था, क्राउड कंट्रोल सहित अन्य मुद्दों को शामिल किया गया है। सुरक्षा व्यवस्था सहित अन्य निगरानियों के लिए ड्रोन के उपयोग सहित अन्य व्यवस्थाओं को लेकर भी नियम होंगे। विभागों से इस पर राय मांगी गई है। सिंहस्थ के लिए लागू मेला अधिनियम 1955 का है, जबकि नियम ब्रिटिशकाल के हैं। तब खरीदी-बिक्री करने वालों से टैक्स लेने की मंशा से काम होता था। अब सिंहस्थ प्रतिष्ठित आयोजन बन चुका है इसलिए नया कानून बनाया जा रहा है।

सूर्य का सिंह राशि में होता है प्रवेश
उज्जैन में आयोजित कुंभ को सिंहस्थ कुंभ भी कहा जाता है। दरअसल सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश होने के कारण ही मध्य प्रदेश के उज्जैन में मनाया जाने वाला कुंभ ‘सिंहस्थ कुंभ’ कहलाता है। एक मान्यता के अनुसार देवताओं और असुरों के बीच 12 दिन तक चले युद्ध के कारण कुल 12 कुंभ का आयोजन किया जाता है लेकिन इनमें से पृथ्वी पर केवल 4 ही कुंभ आयोजित किए जाते हैं, बाकी 8 कुंभ स्वर्ग में देवताओं द्वारा आयोजित किए जाते हैं। इस कुंभ में देशभर के साधु-संत, महात्मा शामिल होते हैं।

तीन हजार हेक्टेयर जमीन आरक्षित
सिंहस्थ के लिए तीन हजार हेक्टेयर जमीन आरक्षित हैं। इस क्षेत्र में निर्माण प्रतिबंधित किया गया है। इसमें से 77 प्रतिशत जमीन 2016 में आवंटित की गई थी। हालांकि इसमें से 23 प्रतिशत का उपयोग नहीं हो सका। अब अधिकांश भूमि का उपयोग कर सिंहस्थ क्षेत्र का विस्तार किया जाएगा।

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