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    672 लीज प्रकरणों को 30 दिन में ही निपटाया

  • January 16, 2021


    प्राधिकरण में लगा फाइलों का ढेर… अब शिविर लगाकर आवंटितों को सौंपेंगे नवीनीकरण के दस्तावेज
    इन्दौर। कलेक्टर मनीष सिंह ने राजस्व प्रकरणों के साथ-साथ अन्य विभागों में भी कसावट शुरू करवाई, जिसके चलते नगर तथा ग्राम निवेश से लेकर नगर निगम और इंदौर विकास प्राधिकरण में भी लम्बित प्रकरणों को समय सीमा में हल किया जा रहा है, ताकि जनता को चक्कर ना लगाना पड़े और बिचौलियों की मदद से भी बचें। नतीजतन प्राधिकरण ने ही 30 दिनों में 672 लीज के लम्बित प्रकरणों को निपटाया और अब अगले हफ्ते शिविर लगाकर आवंटितों को लीज नवीनीकरण के दस्तावेज सौंपे जाएंगे। इससे प्राधिकरण को भी करोड़ों रुपए की राशि प्राप्त होगी।


    इंदौर विकास प्राधिकरण में भी बिचौलियों की जबरदस्त घुसपैठ रही है। सम्पदा, भू-अर्जन सहित अन्य शाखाओं में जमीन मालिकों से लेकर भूखंड आबंटितों के लम्बित कार्यों को लेकर बड़ी राशि का लेन-देन किया जाता है। पिछले दिनों प्राधिकरण ने इस तरह के बिचौलियों के खिलाफ भी अभियान चलाया और अपने ही एक कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई भी की। दरअसल, कलेक्टर मनीष सिंह ने सभी विभागों से बिचौलियों को खत्म करने के निर्देश दिए हैं। प्राधिकरण के सीईओ विवेक श्रोत्रिय के मुताबिक 15 दिसम्बर को 1264 लीज नवीनीकरण के प्रकरण लम्बित थे, लेकिन 30 दिनों में ही इनमें से 672 प्रकरणों का निराकरण कर दिया गया है। अब बिना बिचौलिए के सीधे आवंटिती सम्पर्क करता है। जिन प्रकरणों में लीज शर्तों का उल्लंघन हुआ है, 208 प्रकरण ऐसे हैं, जिसमें दस्तावेज नहीं मिले। 83 की रिपोर्ट आना है, तो 27 प्रकरण अन्य कारणों से लम्बित हैं। अब अगले हफ्ते प्राधिकरण में ही शिविर लगाकर जिन प्रकरणों को निपटाया गया है उनके आबंटितों को बुलाकर लीज नवीनीकरण के दस्तावेज सौंप देंगे। बकाया लीज राशि को भी जमा करवाया जाएगा और फिर दस्तावेजों का पंजीयन भी करवाएंगे। लीज प्रकरणों की कई फाइलों के ढेर प्राधिकरण में लग गए हैं, जिन्हें अब एक अभियान चलाकर निराकृत किया जा रहा है। पिछले दिनों प्राधिकरण ने सुपर कॉरिडोर पर भी इसी तरह की शुरुआत की थी और सीईओ सहित अधिकारी साइड ऑफिस पर बैठे और सीधे किसानों-जमीन मालिकों से सम्पर्क किया और लगभग 100 एकड़ जमीनों के विवाद निपटाते हुए अब किसानों को भूखंडों का आवंटन किया जाएगा।


    दरअसल, प्राधिकरण की कई सम्पत्तियां लीज उल्लंघन के कारण भी फंसी पड़ी है, जिनमें नोटिस देने, कब्जा हासिल करने और अन्य कार्रवाई के चलते कोर्ट-कचहरी भी चल रही है, जिनमें प्रेस कॉम्प्लेक्स, चाय-किराना व्यापारी से लेकर होटल सायाजी सहित अन्य चर्चित मामले शामिल हैं। वहीं जिन सम्पत्तियों को 30 साल से अधिक हो गए, उनकी लीज समाप्त हो गई, मगर उनमें कई सम्पत्तियों का भू-उपयोग परिवर्तन कर लिया गया। यानी आवासीय भूखंडों पर व्यवसायिक निर्माण कर लिए गए, उनके प्रकरण फिलहाल लम्बित भी हैं।

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