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    दो वर्ष में लगाए 65 हजार पौधे

  • April 15, 2022

    • एक प्रतिशत से भी कम बचे जंगल
    • जमीन मिलने की उम्मीद जगी… वन क्षेत्र बढ़ेगा

    उज्जैन। पिछले साल कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश के साथ-साथ उज्जैन वासियों को भी प्राणवायु ऑक्सीजन का महत्व समझा दिया था। तब कोरोना उपचार में ऑक्सीजन ही काम आ रही थी। इधर पिछले दो सालों में पूरे जिले में वन विभाग 1 लाख पौधे भी नहीं लगा पाया है। जिले में वन विभाग के पास कुल क्षेत्रफल की 1 प्रतिशत से भी कम जमीन है। कोरोना महामारी से पहले ग्लोबल वार्मिंग के चलते भी दुनिया तथा देश में प्राकृतिक रूप से मिलने वाली ऑक्सीजन की कमी को लेकर पर्यावरणविद् चिंता जताते रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोरोना महामारी आने के पूर्व प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए तथा ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए वन क्षेत्रों के घटने को लेकर चिंता जताई थी और पौधारोपण पर जोर दिया गया था। जिले में भी हर साल शासन की ओर से वृक्षारोपण के कार्यक्रम व्यापक पैमाने पर चलाए जाते हैं। इसके पीछे हरियाली को बढ़ावा देना उद्देश्य रहता है। इधर कोरोना संक्रमण की साल 2021 में आई दूसरी लहर में मरीजों को उपचार में दवा से ज्यादा ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ी थी।



    कृत्रिम ऑक्सीजन के लिए तब मारामारी मच गई थी और देश तथा प्रदेश में कोरोना के सैकड़ों मरीजों की समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण मौत भी हो गई थी। इसके विपरित उज्जैन जिले में पिछले 5 वर्षों में पूर्व निर्धारित वन क्षेत्र के अलावा नए जंगल बनाने के लिए एक इंच जमीन भी वन विभाग नहीं जुटा पाया था। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक उज्जैन जिले का कुल क्षेत्रफल 6091 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है लेकिन इसमें वन क्षेत्र का दायरा सिर्फ 0.69 प्रतिशत ही है। अर्थात जिले के कुल क्षेत्रफल 6091 वर्ग किलोमीटर में सिर्फ 421 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही वन है। इसमें भी वर्ष 2003 और 2004 में त्रिवेणी के पास दो हेक्टेयर जमीन शासन से वन विभाग को मिली थी। इसके बाद सिंहस्थ 2016 के दौरान 65 हेक्टेयर जमीन शासन द्वारा खाचरौद तहसील के दिवेल गांव और चम्बल नदी के किनारे वन क्षेत्र के लिए दी गई थी। कुल मिलाकर जिले में वन क्षेत्र के लिए जमीन 1 प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में प्राकृतिक रूप से भी जिले की आबादी के मान से यहाँ लगे पेड़-पौधे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। हालांकि इस साल कलेक्टर ने वन विभाग को जमीन आवंटित की है। इससे वन विभाग का क्षेत्रफल बढ़ेगा लेकिन फिर भी यह कुल क्षेत्रफल का 1 प्रतिशत के लगभग नहीं हो पाएगा। इधर पिछले दो सालों में वन विभाग ने 1 लाख से कम पौधे वन क्षेत्र में लगाए गए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक वन विभाग ने साल 2020 में 5 हजार तथा पिछले साल 60 हजार पौधे ही जिले में लगाए थे। ऐसे में कम वन क्षेत्र तथा घटते पौधारोपण के कारण बढ़ते प्रदूषण को रोकने में यह प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। यही कारण है कि जिले में अब पेड़ पौधों के घटने के साथ-साथ प्राणवायु आक्सीजन की मात्रा भी कम होने लगी है।

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