इन्दौर। राजस्व प्रकरणों के निराकरण का सिलसिला तेजी से शुरू हो गया है। कलेक्टर मनीष सिंह की सख्ती के चलते अब सुबह से लेकर देर रात तक अधीनस्थ राजस्व अधिकारी डायवर्शन, सीमांकन, नामंकन, विकास अनुमति से लेकर अन्य प्रकरणों को निराकृत करने में जुटे हैं। पहले कुल पंजीकृत प्रकरणों की संख्या 32 हजार थी, जिनमें से 64 फीसदी प्रकरणों का निराकरण हो गया है। हालांकि अभी भी 11 हजार से अधिक प्रकरण लम्बित हैं, जिनमें से अधिकांश को 31 दिसम्बर तक निराकृत करने का लक्ष्य रखा गया है।
पिछले दिनों कलेक्टर मनीषसिंह ने खुद के दफ्तर प्रशासनिक संकुल में सफाई अभियान शुरू करवाया और बिचौलियों का प्रवेश पूरी तरह से बंद किया और उनके दफ्तरों पर छापे तक डलवा दिए। इतना ही नहीं, एसडीएम से लेकर तहसीलदारों, पटवारियों की फिजूल कार्यों में लगाई जाने वाली ड्यूटी भी खत्म कर दी और सभी तहसीलदारों को निर्देश दिए कि सुबह साढ़े 10 बजे से दफ्तर में बैठें और फिर काम खत्म होने तक मौजूद रहें। प्रोटोकॉल सहित अन्य ड्यूटी से भी तहसीलदारों, पटवारियों को मुक्त कर दिया और कलेक्टर रोजाना निरीक्षण भी कर रहे हैं। पहले कोरोना, फिर उपचुनाव के चलते भी बड़ी संख्या में राजस्व प्रकरण लम्बित हो गए थे, जो अब तेजी से निराकृत होने लग गए हैं। फिलहाल 6 माह से अधिक लम्बित प्रकरणों की संख्या 2957 बताई गई है, जबकि पहले 32 हजार से अधिक प्रकरण लम्बित थे, जिनमें से 21 हजार 71 प्रकरणों का निराकरण हो चुका है। यानी 64 फीसदी राजस्व प्रकरण हल हो गए और 11 हजार 600 से अधिक लम्बित हैं। मल्हारगंज में 86 फीसदी तक तो कनाडिय़ा और राऊ थोड़ा पीछे हैं।
नगर तथा ग्राम निवेश और पंजीयन विभाग का आकस्मिक निरीक्षण किया कलेक्टर ने… बाबुओं की ली क्लास, तो अफसरों को हिदायत
कलेक्टर द्वारा राजस्व, जमीनों से संबंधित अन्य विभागों का भी औचक निरीक्षण किया जा रहा है। इसी कड़ी में कल कलेक्टर ने नगर तथा ग्राम निवेश और उसके बाद फिर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में ही स्थित उपपंजीयक कार्यालय का भी अवलोकन किया, जहां बाबुओं की क्लास ली और उन्हें दो टूक हिदायत दी कि किसी भी दलाल की एंट्री न हो और सीधे आवेदकों के काम किए जाएं और अगर कोई कमी फाइल में रहती है तो आवेदक या उसके प्रतिनिधि को फोन कर उसे दूर करवाएं। इस दौरान नगर तथा ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक एसके मुद्गल ने दफ्तर में किए गए परिवर्तनों की जानकारी भी दी। वहीं कुछ बाबुओं ने यह भी कहा कि दलालों का प्रवेश बंद होने से उन्हें भी बड़ा सुकून मिला है, वरना दिनभर दबाव-प्रभाव में काम करना पड़ता था। उपपंजीयक दफ्तरों में अव्यवस्थाओं को लेकर फटकार लगाई, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में लोग रजिस्ट्रियों के लिए खड़े मिले, जिनके बैठने से लेकर अन्य कोई व्यवस्था कलेक्टर को नजर नहीं आई। उन्होंने भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर कुछ समस्याओं को दूर करवाने की बात भी कही।
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