लाइसेंसी बंदूक रखना भी जी का जंजाल बना…
इंदौर। हीरानगर थाना क्षेत्र (Hiranagar police station area) में एक साल पहले सिर में गोली (bullet) लगने से हुई एक बच्ची की मौत (death) का रहस्य बरकरार है। पुलिस को आशंका थी कि हर्ष फायर के चलते आसपास से चली। गोली उसके सिर में लगी, क्योंकि गोली लाइसेंसी बंदूक (licensed gun) से चलने की आशंका थी। इसके चलते पुलिस (police) ने क्षेत्र में रहने वाले सभी 64 लाइसेंसी बंदूकधारियों की बंदूकें जब्त कर उन्हें जांच के लिए सागर लैब भेजा था, लेकिन सभी बंदूकें निर्दोष साबित हुईं, यानि इनमें से किसी भी बंदूक से गोली नहीं चली थी, जिसके चलते यह हत्याकांड (murder) फिर उलझ गया है।
लगभग एक साल पहले हीरानगर थाना क्षेत्र के एक गरबा पंडाल में 11 वर्ष की बच्ची माही शिंदे अपनी मां के साथ गरबे देखने गई थी। वहां अचानक उसके सिर में चोट लगी। परिजन उसे तुरंत अस्पताल ले गए, जहां मौत हो गई। पीएम रिपोर्ट में पता चला कि उसके सिर में गोली है और उसने ही जान ली है। पुलिस हरकत में आई और सीसीटीवी कैमरे खंगाले, लेकिन कोई गोली चलाते दिखाई नहीं दिया, न ही किसी ने कोई आवाज सुनी। पुलिस ने जांच की तो पता चला कि गोली छत पर लगकर बच्ची के सिर में जा धंसी थी। इसके बाद पुलिस ने मामले में हत्या का केस दर्ज किया था। मामले को सुलझाने के लिए पुलिस ने एक किमी में रहने वाले सभी बंदूक के लाइसेंसियों की बंदूकें जब्त की, जिनकी संख्या 64 थी। पुलिस ने सभी बंदूकों को जांच के लिए सागर लैब भेजा था, ताकि पता चल सके कि किस बंदूक से यह गोली चली है। यहां से सभी बंदूकों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, जिसके चलते यह हत्याकांड फिर उलझ गया है।
डीसीपी ने मंगवाई डायरी, नए सिरे से जांच
डीसीपी पंकज पांडे का कहना है कि 64 बंदूकों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसके चलते उन्होंने डायरी बुलाई है, ताकि नए सिरे से जांच शुरू की जा सके, वहीं एसीपी धैर्यशील यवले का कहना है कि बाद में दायरा बढ़ाकर कुछ और बंदूकें जांच के लिए भेजी थीं। उनकी रिपोर्ट आना शेष है।
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