नई दिल्ली। द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज जनरल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, कोविशील्ड की दोनों खुराक ले चुके लोगों पर यह वैक्सीन 63 प्रतिशत तक असरदार है। वहीं यह वैक्सीन मध्यम से गंभीर बीमारियों पर भी 81 प्रतिशत तक प्रभावी है। इसके अलावा वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन कोरोना के डेल्टा वैरिएंट पर भी असर डालती है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कहना है कि इस तरह की कोशिकीय प्रतिरक्षा सुरक्षा कोरोना वायरस के अलग-अलग वैरिएंट के खिलाफ प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करती है और गंभीर बीमारियों के खिलाफ काम करके मरीज को अस्पताल में भर्ती होने से भी रोकती है।
वैज्ञानिकों ने फरीदाबाद के दो अनुसंधान केंद्रों पर यह अध्ययन पूरा किया। इसमें 2379 कोरोना संक्रमित लोगों की तुलना 1981 ऐसे लोगों से की गई, जो पूरी तरह से सुरक्षित थे। इसमें 85 (3.6%) लोग संक्रमित लोगों के समूह से और 168 (8.5%) लोग ऐसे थे जिन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था। ये सी पूरी तरह से टीकाकरण करवा चुके लोग थे। इस दौरान शोधकर्ताओं की टीम ने ऐसे स्वस्थ लोगों का आंकलन किया, जो टीकाकरण करवा चुके थे।
उनमें देखा गया कि कोरोना वैरिएंट को निष्क्रिय करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली किस तरह से काम करती है। वहीं इंग्लैंड व स्कॉटलैंट में किए गए अध्ययनों में सामने आया है कि कोविशील्ड 60 से 67 प्रतिशत तक असरदार है। वैज्ञानिक अध्ययन में पता चला है कि कोविशील्ड के दोनों टीके लगवा चुके लोगों पर वैक्सीन मध्यम से गंभीर रोगों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है, तब भी जब डेल्टा वैरिएंट सक्रिय था।
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