इंदौर। हुुकुमचंद मिल (Hukumchand Mill) के मजदूर अपनी जमा पूंजी पाने के लिए 30 सालों से संघर्ष कर रहे हैं। कल रविवार (Sunday) को भी मिल परिसर (Mill Complex) में कई मजदूर और उनके परिजन एकत्रित हुए और मुख्यमंत्री (Chief Minister) को अपना वादा निभाने की याद दिलाई। वहीं हाईकोर्ट (High Court) में फिर से याचिका भी दायर की गई, जिस पर आज सुनवाई होना है।
चार साल पहले मजदूरों की 220 करोड़ की राशि में से 50 करोड़ ही शासन ने हाईकोर्ट (High Court) आदेश पर दिए और अब 170 करोड़ की राशि बकाया है और मजदूरों की एक-एक कर मौत अलग हो रही है। 6 हजार मजदूरों में से अभी तक 2200 मजदूरों के साथ उनकी वारिस यानी 600 पत्नियों की भी मौत हो चुकी है। कोरोना काल (Corona period) में ही 177 मजदूरों की मौत हुई, जिनमें से 17 तो कोरोना की चपेट में ही आ गए। हुकुमचंद मिल (Hukumchand Mill) की 42 एकड़ से अधिक जमीन उपलब्ध है। पहले हाईकोर्ट (High Court) आदेश पर इस जमीन का मालिक नगर निगम (Municipal Corporation) को ही माना गया, उसके बाद निगम ने शासन के पक्ष में जमीन कर दी और इतना ही नहीं, हुकुमचंद मिल (Hukumchand Mill) की लीज (Lease) अवधि को भी निगम परिषद् (Corporation Council) ने संकल्प पारित करते हुए समाप्त कर दिया। इसी बीच हाईकोर्ट निर्देश (High Court Instructions) पर शासन ने मिल की जमीन का भू-उपयोग भी औद्योगिक से बदलकर आवासीय व व्यवसायिक कर दिया है। दूसरी तरफ मुंबई डीआरटी (Mumbai DRT) ने सालों से मिल की जमीन पर कब्जा कर रखा है और पांच मर्तबा ऑनलाइन जमीन बेचने के प्रयास भी किए गए। मगर कोई खरीददार सामने नहीं आया, क्योंकि शासन-निगम इस जमीन पर अपना स्वामित्व जताते रहे और मजदूरों की जमा पूंजी का मामला अलग उलझा रहा।
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