इंदौर, कमलेश्वरसिंह सिसौदिया। रबी सीजन में सिंचाई के लिए भरपूर बिजली का उपयोग हो रहा है। अकेले इंदौर जिले में 400 मेगावाट बिजली सिंचाई में लग रही है। बिजली लाइन और तारों पर ज्यादा दबाव के चलते एक महीने में तकरीबन 600 ट्रांसफार्मर खराब हो गए हैं, जिन्हें 24 घंटे में रिपेयर या बदले जाने का दावा किया जा रहा है।
अक्टूबर की शुरुआत में आलू, मटर, लहसुन की बुवाई किसानों ने शुरू कर दी थी। तब से ही कुएं, ट्यूबवेल के माध्यम से सिंचाई शुरू हो गई थी 15 अक्टूबर के बाद से गेहूं और चने की बुवाई के लिए खेतों में पलेवा करने के लिए मोटर पंप चलाए जा रहे हैं, जिससे इंदौर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में बिजली की खपत बढक़र 800 मेगावाट के पार हो गई है। ग्रामीण अधीक्षण यंत्री डॉ. डीएन शर्मा ने बताया कि बिजली की मांग और आपूर्ति का संतुलन बना हुआ है। एक महीने के दौरान 600 ट्रांसफार्मर खराब होने की शिकायतें आई थीं। इनमें से 400 ट्रांसफार्मर को पीथमपुर, देपालपुर, महू, सांवेर में बने लोकल रिपेयरिंग सेंटर पर दुरुस्त कर लिया गया। वहीं 200 ट्रांसफर जो खराब हो गए हैं, को रिपेयर नहीं किया जा सकता। यहां नए ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं।
ग्रामीणों की शिकायत लेट लतीफी
बिजली कंपनी के पास लाइन स्टाफ और लाइनमैन 80 फीसदी आउटसोर्स एजेंसी के हैं। लंबे समय से स्थायी और प्रशिक्षित लाइन स्टाफ नहीं होने से बिजली मरम्मत के कामों में दिक्कतें बनी हुई हैं। किसानों का कहना है कि गांव से 8 से 10 किलोमीटर दूरी पर बिजली वितरण केंद्र रहता है। कई बार फोन के माध्यम से संपर्क करने के लिए नेटवर्किंग की समस्या भी आती है। वहीं बार-बार बिजली केंद्र के चक्कर लगाने पड़ते हैं, जिसके कारण बत्ती गुल की समस्या होने पर तुरंत सप्लाई चालू नहीं होता। बिजली अधिकारियों का कहना है कि शिकायत मिलने के बाद मौके पर पहुंचने में 2 से 3 घंटे लगना सामान्य बात है। किसानों को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए।
4 से 6 घंटे में पहुंच रही टीम
ट्रांसफार्मर और बिजली संबंधी समस्या आने पर किसानों की शिकायत के बाद बिजली कंपनी का दल 3 से 4 घंटे में मौके पर पहुंचने का दावा किया जा रहा है। ग्रामीण अधीक्षण यंत्री कहना है कि 12 से 24 घंटे के अंदर ट्रांसफार्मर बदलने या रिपेयर करने की प्रक्रिया जारी है।
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