येरेवान । आर्मीर्निया और आजरबैजान के बीच अलगाववादी क्षेत्र नागोर्नो-काराबाख को लेकर चल रही लड़ाई में मरने वालों की संख्या करीब 600 हो गई है। वहीं, इस सप्ताहांत संघर्ष विराम की घोषणा के बावजूद चल रही लड़ाई के बीच अधिकारियों ने सैनिकों और नागरिकों की मौत की खबरें लगातार दी हैं। नागोर्नो-काराबाख के सैन्य अधिकारियों ने बताया कि उनके 16 कर्मी युद्ध में मारे गए। इसके साथ ही 27 सितंबर को शुरू हुई लड़ाई में उसके 532 सैनिकों की मौत हो चुकी है।
आजरबैजान ने हालांकि, अपनी सेना को हुए नुकसान की जानकारी नहीं दी है पर दोनों पक्षों की ओर से किए जा रहे दावों के मद्देनजर कुल हताहतों की संख्या बहुत अधिक होने की आशंका है। आजरबैजान ने कहा कि गत दो हफ्तों की लड़ाई में उसके 42 आम नागरिक मारे गए हैं। नागर्नो-काराबाख के मानवाधिकार लोकपाल अर्तक बेलारयान ने देर सोमवार बताया कि आजरबैजान से अलग हुए इस इलाके में कम से 31 आम नागरिकों की मौत हुई है और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं।
आर्मीनिया और आजरबैजान ने रूस की मदद से संघर्षविराम समझौता प्रभावी होने के बावजूद नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर एकदूसरे पर हमले करने के आरोप लगाये। संघर्षविराम गत शनिवार को लागू हुआ था लेकिन दोनों पक्षों की इसके तुरंत बाद इसके उल्लंघन करने के दावे किये गए। यह सप्तांत में और मंगलवार को भी जारी रहा। आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता शुशान स्टीपैनियन ने सोमवार को कहा कि आजरबैजानी बल संघर्ष वाले ‘‘दक्षिणी मोर्चे पर व्यापक गोलीबारी कर रहे हैं।’’
इस बीच आजरबैजानी रक्षा मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि आजरबैजान संघर्षविराम का पालन कर रहा है लेकिन आर्मीनियाई बल आजरबैजान के गोरनबॉय, तेरतेर और अगदम क्षेत्रों पर गोलाबारी कर रहे हैं जो कि नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र के आसपास स्थित हैं। आजरबैजान और आर्मीनिया की सेनाओं के बीच हालिया लड़ाई 27 सितंबर को शुरू हुई थी और नागोर्नो-काराबाख को लेकर इस संघर्ष में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई है। यह इलाका आजरबैजान में आता है, लेकिन इस पर आर्मीनिया समर्थित आर्मीनियाई जातीय समूहों का नियंत्रण है।
गौरतलब है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हस्तक्षेप के बाद आर्मीनिया और अजरबैजान के विदेश मंत्रियों ने मॉस्को में एक संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की देखरेख में मास्को में वार्ता के बाद शनिवार दोपहर को संघर्षविराम प्रभावी हुआ था। इस समझौते में तय किया गया था कि संघर्षविराम से संघर्ष के समाधान के लिए बातचीत का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए।
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