इंदौर। कोरोना महामारी (corona epidemic) ने प्रदेश के यात्री बस परिवहन (passenger bus transport) की कमर तोड़ दी है। 16 माह में इंदौर से चलने वाली 1350 में से 600 बसों का संचालन (operations) बंद हो चुका है। बसें (buses) बंद होने से प्रमुख मार्गों पर बसों के फेरे कम हो चुके हैं, जिससे कई ग्रामीण क्षेत्रों ( rural areas) की कनेक्टिविटी (connectivity) भी टूट चुकी है। इससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर बसों की संचालन लागत 40 प्रतिशत से भी ज्यादा बढऩे और किराए में वृद्धि ना होने से बस संचालकों के लिए बसें चलाना मुश्किल हो रहा है। अगर ऐसी ही हालत रही तो प्रदेश से निजी बसों (private buses) का संचालन बंद होने की नौबत आ सकती है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कोरोना (Corona) के प्रकोप के कारण 22 मार्च 2020 से ही यात्री बसों के संचालन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद सितंबर से दोबारा बसों का संचालन शुरू हुआ। ये सामान्य हो ही रहा था कि कोरोना की दूसरी लहर के कारण एक बार फिर लॉकडाउन (lockdown) और सख्ती से हालत फिर बिगड़ गई। पहली लहर में बसों का संचालन रोक दिया गया था। दूसरी लहर (second wave) में शासन ने रोक नहीं लगाई, लेकिन यात्री ना मिलने से बसों का संचालन ना के बराबर ही हुआ। प्राइम रूट बस ऑनर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने बताया कि अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 के बीच इंदौर से मध्यप्रदेश सहित अन्य प्रदेशों के प्रमुख शहरों के लिए चलने वाली 1350 स्टेज कैरेज परमिट (रूट परमिट) पर चलने वाली बसों में से 600 बसों का संचालन बंद हो चुका है। यानी इस समय 1350 के स्थान पर सिर्फ 750 बसें ही चल रही हैं।
600 बसों ने परमिट ही सरेंडर कर डाले
बसों का संचालन महंगा होने और यात्रियों की कमी के चलते पिछले दिनों 600 से ज्यादा बसों का परमिट बस संचालक परिवहन विभाग को सरेंडर कर चुके हैं। बस संचालकों (bus operators) का कहना है कि यात्री संख्या बढऩे और डीजल की कीमतें कम होने या किराए में वृद्धि होने पर ही बसों का संचालन दोबारा शुरू कर पाएंगे।
टूटा ग्रामीण क्षेत्रों का संपर्क
बसों की संख्या कम होने से प्रमुख शहरों तक बसें तो जा रही हैं, लेकिन फेरे आधे से भी कम हो चुके हैं। पहले जहां प्रमुख शहरों के लिए 10 मिनट में बसें मिल जाया करती थीं, वहीं अब एक घंटे के इंतजार के बाद मिलती हंै। इससे सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए खड़ी हो गई है। इंदौर से प्रमुख शहरों तक बस जाने के बाद वहां से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ग्रामीण बसें मिल जाती थीं, लेकिन अब दोनों बसों का समय मैच ना होने से ग्रामीण परेशान हैं।
बिना अनुमति चल रहे निजी वाहन
शर्मा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बसों की कनेक्टिविटी (connectivity) कम होने से निजी वाहन चालक यात्रियों को ढो रहे हैं। इसके लिए वे छोटे वाहनों का इस्तेमाल करते हैं और क्षमता से कहीं ज्यादा यात्रियों को बिना अनुमति बैठाते हैं। इससे हादसे के डर के साथ ही शासन को राजस्व का भी भारी नुकसान हो रहा है। दूसरी ओर यात्रियों (passenger) से भी मनमानी वसूली की जा रही है। शासन द्वारा किराया वृद्धि के संदर्भ में यदि निर्णय नहीं किया गया और परमिट नियम शिथिल नहीं किए गए तो अवैैध वाहनों की भरमार हो जाएगी।
इन शहरों के लिए चलती हैं बसें
इंदौर (Indore) से मुख्य रूप से प्रदेश में जबलपुर, रीवा, सतना, सागर, भोपाल, बुरहानपुर, खंडवा, सेंधवा, बड़वानी, खरगोन, आगर, सोयत, आलीराजपुर, झाबुआ, गुना, ग्वालियर के लिए बसें चलती हैं और इंटर स्टेट रूट्स की बात करें तो औरंगाबाद, पुणे, शिर्डी, झालावाड़, नागपुर, उदयपुर, वडोदरा, अहमदाबाद, सूरत के लिए रूट परमिट बसें चलती हैं। वहीं आल इंडिया टूरिस्ट परमिट लेकर दिल्ली, मुंबई, जयपुर, राजकोट, रायपुर जैसे शहरों के लिए भी बसें (buses) चलती हैं।
यात्री बढऩे के साथ बढ़ेेंगी बसें
पिछले दिनों यात्री कम होने से कई बसों ने परिवहन विभाग को परमिट सरेंडर किए हैं और बसों का संचालन बंद किया है, लेकिन अब अनलॉक (Unlock) के बाद यात्री संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। जल्द ही स्थिति सामान्य होने पर यात्री संख्या बढऩे पर बसों की संख्या भी बढ़ेगी, जिससे यात्रियों (passengers) को पहले की तरह बसों की सुविधा मिल सकेगी।
– जितेंद्र सिंह रघुवंशी, आरटीओ
एक नजर प्रमुख बस स्टैंडों से चलने वाली बसों की संख्या पर
बस स्टैंड मार्च 2020 अगस्त 2021
नौलखा 750 450
गंगवाल 250 120
तीन इमली 200 100
रेलवे स्टेशन 150 80
कुल 1350 750
(जानकारी बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन के मुताबिक)
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