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    60 साल पहले साढ़े 4 किलो के बिजली मीटर आते थे, अब ढाई सौ ग्राम के

  • July 12, 2023

    • पोलोग्राउंड में बिजली मीटरों का संग्रहालय

    इंदौर, कमलेश्वरसिंह सिसोदिया। बिजली के बिना जनजीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। आज के दौर में बिजली जीवन का अमूल्य हिस्सा बन चुकी है। बिजली में लगने वाले मीटर खपत की गणना, तकनीक के साथ इसमें भी कल्पना से परे परिवर्तन हुए हैं। 60 साल पहले जो बिजली मीटर जर्मन और लोहे का साढ़े 4 किलो वजनी आता था, अब फाइबर और अत्याधुनिक तकनीक के स्मार्ट मीटर ढाई सौ ग्राम वजन के आ रहे हैं।

    खोज एवं विकास यात्राओं के बारे में जितनी बात की जाए, उतनी कम है। रोचकता, नवीनता, प्राचीन समय की चुनौतियां, तकनीक का अभाव आदि मजबूरियों के बाद भी बिजली व्यवस्था की शुरुआत आजादी के आसपास हुई थी। बात 60-70 साल पहले की है, तब चुनिंदा स्थानों पर ही बिजली थी। इंदौर शहर में नगर निगम मुख्य मार्गों पर कंडील की रोशनी करता था। इनमें घासलेट डालने वालों की नियमित ड्यूटी थी। शहर में बिजली की व्यवस्था में 1960 से 1970 के दशक में तेजी से फैलाव हुआ। इसी दौरान बिजली मापने के मीटर भी जर्मनी से आए। बिजली कंपनी के पोलोग्राउंड मुख्यालय में बिजली के मीटरों का ऐसा ही संग्रहालय संजोया गया है, जिसमें आज से 60 वर्ष पुराना जर्मनी में बना मीटर भी मौजूद है। इस मीटर का वजन करीब साढ़े 4 किलो का है। 99 प्रतिशत भाग लोहे का है। इसमें एक किलो के करीब चुंबक है। कालांतर में बिजली के मीटरों से लोहे की मात्रा कम एवं फाइबर, प्लास्टिक, एल्यूमिनियम इत्यादि की मात्रा बढ़ती गई। मीटर का वजन कम होता गया, तकनीकी सुविधाएं यानी फीचर बढ़ते गए। वर्तमान में स्मार्ट मीटरों का वजन ढाई सौ ग्राम है। यानी 1970 के दशक में जर्मनी में बने एक मीटर का जितना वजन होता था, उतने वजन में अभी के 18 मीटर आ सकते हैं।


    ये भी हैं अंतर
    पहले अब
    चकरी घूमती थी डिजिटल अंक दिखते हैं
    रात में देखना मुश्किल रात में भी आसानी से दृश्यता
    मात्र रीडिंग लेते थे अब लोड, पावर फैक्टर भी
    कम बिजली की गणना नहीं अब माइक्रो लेवल की गणना

    स्मार्ट मीटर कंट्रोल सेंटर की टीम ने काफी प्रयास कर संग्रहालय जैसा सेंटर विकसित किया है। इसमें दशकों पुराने एवं काफी महत्वपूर्ण मीटरों को जुटाया गया है। इनसे बिजली एवं मीटरीकरण की ऐतिहासिक जानकारी भी मिलती है। वहीं नई पीढ़ी को उस दौर के मीटर देखने का अवसर भी मिलता है। वैसे भी इन पुराने मीटरों को सजाकर रखा गया है। पोलोग्राउंड मुख्यालय में आमजन भी इन्हें देख सकते हैं। अब जो अत्याधुनिक मीटर आ रहे हैं, वह बेहद सूक्षतम बिजली की खपत की गणना करने में कारगर हैं।
    -अमित तोमर, एमडी, मप्रपक्षेविविकं, इंदौर

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