इंदौर। एमवाय हॉस्पिटल से शुरू होकर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल तक चलने वाला बोन मैरो ट्रांसप्लांट का सिलसिला रफ्तार पकड़ता नजर आ रहा है। दोनों सरकारी अस्पतालों में अभी तक 120 बोन मैरो ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। इस तरह इंदौर के यह 2 सरकारी अस्पताल बोन मैरो ट्रांसप्लांट के मामले में राज्यस्तरीय रिकार्ड बना चुके हैं। शहर के सरकारी अस्पताल में पहला बोन मैरो ट्रांसप्लांट साल 2018 में तो सुपर स्पेशलिटी में पहला ट्रांसप्लांट साल 2023 में हुआ था।
हाल ही में इसी हफ्ते 1 ही दिन मे किए गए 2 ट्रांसप्लांट के बाद सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की संख्या 60 तक पहुंच चुकी है। सुपर स्पेशलिटी में ट्रांसप्लांट साल 2023 के फरवरी माह से शुरू हुआ था, यानी लगभग 21 महीने में 60 मरीजों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं। सुपर स्पेशलिटी के पहले एमवाय हॉस्पिटल में साल 2018 बोन मैरो ट्रांसप्लांट, ब्लड कैंसर और थेलेसीमिया सहित रक्त से सम्बंधित अन्य गम्भीर बीमारियों के लिए शुरू किया गया था। वहां अभी तक 60 मरीजों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं।
इस तरह इंदौर के दोनों सरकारी अस्पतालों में अब तक 120 बोन मैरो ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। डॉक्टर अक्षय लाहोटी के अनुसार निजी हॉस्पिटल में ब्लड कैंसर, थेलेसीमिया या रक्त से सम्बंधित अन्य गम्भीर बीमारियों से पीडि़त मरीजों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट का खर्चा 25 से 30 लाख रुपए तक आता है, मगर एमवाय और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहायता कोष के अलावा रेडक्रॉस सोसायटी सहित अन्य सामाजिक संस्थाओं, एनजीओ के सहयोग से ट्रांसप्लांट किए जाते हैं। इससे मरीज के परिजनों पर विशेष आर्थिक भार नहीं पड़ता।
गरीबों को मिलती बड़ी सुविधा
सरकारी अस्पताल में बोन मेरो ट्रांसप्लांट होने के कारण गरीबो को सबसे ज्यादा राहत मिलती है, क्योकि निजी अस्पतालों में इसका खर्च लाखों में जाता है।
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