लखनऊ। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के दूसरे चरण (second stage) के चुनाव में नौ जिलों की 55 सीटों पर मतदान हुआ। वोटिंग लगभग पूरी हो चुकी है। दूसरे चरण के चुनाव में दोपहर 5 बजे तक 60.44 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई है। सोमवार शाम पांच बजे तक वोटिंग का जो आंकड़ा मिला है वह 2017 के आंकड़ों से पांच प्रतिशत कम है। 2017 में दूसरे चरण में 65.53 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था।
पहले चरण के चुनाव में भी आंकड़ों का यही हाल देखने को मिला है। पहले चरण में भी 2017 के मुकाबले इस बार वोटिंग कम हुई। वोटिंग पूरी होने के साथ ही मतदाताओं में वोटिंग प्रतिशत कम और ज्यादा के मायने क्या हैं, इसको लेकर भी सवाल कौंधने लगा है। राजनीतिक दृष्टि से कम और ज्यादा वोटिंग प्रतिशत (voting percentage) के मायने भी बहुत दिलचस्प माने जाते हैं। जानकारी के मुताबिक जिस क्षेत्र में वोटिंग कम होती है वहां के प्रत्याशी के प्रति वोटरों (per voters) में कुछ हद तक विश्वास बरकरार (keep faith) रहता और जहां वोटिंग प्रतिशत ज्यादा होता है, वहां जनता बदलाव में मूड में है ऐसा माना जाता है।
ज्यादा वोटिंग वाले क्षेत्र (high voting areas) में माना जाता है कि जनता मौजूदा प्रतिनिधि से खुश नहीं है, इसलिए इसे बदलने के लिए जनता घरों से निकलती है और जमकर वोट की चोट करती है। इससे वोटिंग का प्रतिशत बढ़ जाता है। हालांकि राजनीतिकारों के वोटिंग प्रतिशत (Voting percentage of politicians) को लेकर मायने कितने सही साबित होते हैं यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा। फिलहाल सियासी गलियारों में प्रत्याशी अभी से अपनी-अपनी पार्टी की सरकार बनाने का दावा करने लगे हैं। सुबह सात बजे जब मतदान शुरू हुआ तो कहीं-कहीं ईवीएम और कहीं-कहीं वीवीपैट (VVPAT) में खराबी आई, सूचना मिलते ही मशीनें बदली गईं।
शुरुआती दो घंटे सात से नौ बजे के बीच महज 10 फीसदी मतदान हुआ था। इसके बाद पूर्वान्ह 11 बजे यह बढ़कर 23 प्रतिशत हो गया। दोपहर एक बजे तक इन 55 सीटों पर औसतन 39.07 प्रतिशत और दोपहर तीन बजे तक 51.93 प्रतिशत मतदान हो चुका था। पहले चरण की वोटिंग की तरह दूसरे चरण की वोटिंग भी 2017 का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाई। दूसरे चरण में भी 2017 के मुकाबले कम वोटिंग हुई है। ज्यादातर जिलों में वोटिंग प्रतिशत पिछले बार के मुकाबले कम ही रहा।
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