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एक साल में 6 आतंकी हमले, जम्मू कश्मीर का पीर पंजाल क्यों बनता जा रहा है आतंकियों का नया गढ़

December 28, 2023

नई दिल्ली: 21 दिसंबर 2023 की दोपहर राजौरी-पुंछ इलाके में सर्च ऑपरेशन पर निकले सुरक्षाबलों के काफिले पर आतंकियों ने हमला कर दिया. इस हमले में चार जवानों के शहीद होने और 3 जवानों के गंभीर रूप से घायल होने की खबर सामने आई.

पुंछ में हुए हमले से ठीक 1 महीने पहले यानी 22 नवंबर को इसी इलाके के बाजीमाल क्षेत्र में भी ऐसा ही हमला किया गया था, उस वक्त भी सेना के पांच जवान और दो कैप्टन को अपनी जान गवानी पड़ी थे. पिछले एक साल का रिकॉर्ड देखें तो जम्मू कश्मीर के राजौरी-पुंछ सेक्टर में 6 आतंकी हमले और 19 जवान शहीद हो चुके हैं.

कश्मीर में आतंकी हमले होना कोई नई बात नहीं है. सालों से हम अखबार या टीवी में सुरक्षाबलों पर आतंकियों के हमले की खबरें सुनते आए है, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि पहले इस तरह के हमले ज्यादातर दक्षिण कश्मीर यानी घाटी क्षेत्र में होते थे. हालांकि पिछले कुछ सालों से घाटी का इलाका शांत है जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं ज्यादा होने लगी है.

ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि राजौरी और पुंछ जिले में ऐसा क्या है कि ये क्षेत्र आतंकियों का पनाहगार बनाता जा रहा है. इस पूरे मामले में पीर पंजाल क्षेत्र कैसे केंद्र सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनती जा रही है.

पीर पंजाल हिमालय की एक रेंज है, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश के राज्य तक फैली हुई है. इस रेंज को लघु हिमालय भी कहा जाता है. यहां के पहाड़ 13,000 फीट ऊंचे हैं. इसी इलाके में रावी, चेनाब और झेलम जैसी नदियां भी बहती हैं. माना जाता है कि पीर पंजाल इलाका इन पहाड़ियों को कंट्रोल करता है और इस इलाके पर कंट्रोल कर लेने का मतलब है कि उसके पास पूरी कश्मीर घाटी का एक्सेस हो जाता है. पीर पंजाल में काफी घने जंगल हैं. इसके अलावा यहां खूब बरसात होती है.

इस बात से तो हम सभी वाकिफ ही हैं कि कश्‍मीर के जरिये पाकिस्तान भारत के खिलाफ प्रॉक्‍सी वॉर चलाता आया है. जिसमें कश्मीर हमेशा सुलगता रहा है. अब साल 2019 से पहले तक आतंकी समूह एलओसी से सटे राजौरी और पुंछ में पहुंचते थे और पीर पंजाल क्षेत्र को पार करते हुए घाटी में हमला या आतंकी गतिविधि करते थे. आसान भाषा में कहें तो ये कुछ साल पहले तक ये जिले आतंकियों के लिए सिर्फ कश्मीर तक पहुंचने का ट्रांजिट रूट हुआ करता था.

साल 2003-04 के आसपास राजौरी और पुंछ इलाकों में मिलिट्री ने काफी ऑपरेशन किए. सेना के आक्रमक सर्च ऑपरेशन्स ने इन आतंकियों को बैकफुट पर ला दिया. साल 2019 से लेकर अब तक इस सर्च ऑपरेशन में 47 आतंकियों को मार गिराया जा चुका है.

इन ऑपरेशन्स के दौरान ही सेना ने पीर पंजाल से पहले पुंछ के सुरनकोट में आतंकियों के जो बेस थे उसे तबाह कर दिया. अब कोई बेस नहीं होने के कारण इन आतंकियों को घाटी पहुंचने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ रहा है.


इस बीच अगर वह सेना के जवानों के नजर में आ जाते हैं तो शायद ही वापस लौटकर जा पाए. यही कारण है कि ज्यादातर आतंकी अब पीर पंजाल वाले उस क्षेत्र का सहारा ले रहे हैं, जहां घने घने जंगल और पहाड़िया हैं.

वहीं दूसरी तरफ अनुच्छेद 370 के रद्द होने के कारण भी घाटी के भीतर की स्थिति बदली है. इसने कश्मीर को अलगाववादी नजरिया रखने वालों के लिए कम अनुकूल बना दिया है.

पीर पंजाल ही क्यों, तीन प्वाइंट में समझिए 

  1. एलओसी से सटा कश्मीर का राजौरी और पुंछ इलाका भौगोलिक तौर पर आतंकियों के लिए बिल्कुल सही जगह है. दरअसल राजौरी- पुंछ के उत्तर में पीर पंजाल है. यहां घने जंगल और पहाड़ है. ये पहाड़ी 75-80 डिग्री ऊंचाई पर है. यहां कई गुफाएं भी हैं, जिनमें आतंकियों ने अपना अड्डा बनाया हुआ है.
  2. राजौरी की सीमा कुलगाम, शोपियां और जम्मू के रियासी और रामबन से लगती है. सांप्रदायिक रूप से ये दोनों ही जिले काफी संवेदनशील है. इन जिलों में जिहादी कट्टरवादी विचारधारा का असर बहुत ज्यादा है और आतंकी इन जिलों से कश्‍मीर के अन्‍य हिस्‍सों में आसानी से दाखिल कर जाते हैं.
  3. कश्मीर घाटी में सर्च ऑपरेशन काफी लंबे समय से चल रहा है. लेकिन, पुंछ और राजौरी ये ऐसे क्षेत्र जो पीर पंजाल की वजह से अब भी सुरक्षाबलों के रडार से दूर हैं. आतंकियों ने इसका पूरा फायदा उठाया है.

इन इलाकों में आतंक को खत्म करने के लिए क्या कदम उठा रही है सरकार 

24 सितंबर यानी सोमवार को सेना प्रमुख मनोज पांडे ने जवानों पर हुए हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पुंछ जिलों का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने स्थानीय सैनिकों से पीर पंजाल के गुफाओं को नष्ट करने को कहा. बता दें कि इन गुफाओं का इस्तेमाल आतंकवादियों द्वारा छिपने के ठिकानों की तरह किया जा रहा है.

सेना प्रमुख ने इन क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था की भी समीक्षा की. राजौरी-पुंछ में डेरा की गली और बफलियाज के जंगली क्षेत्रों में हवाई निगरानी और तलाशी अभियान मंगलवार को सातवें दिन भी जारी रहा. वहां मोबाइल इंटरनेट सेवाएं लगातार चौथे दिन बंद रहीं.

वर्तमान में हुए हमले के बाद इन इलाकों में तनाव 

अब 21 दिसंबर को हुए हमले की बात करें तो सुरक्षाबलों के काफिले पर हमला किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में पूछताछ के लिए ले जाए गए आठ लोगों को ले जाया गया. लेकिन, इनमें से तीन लोगों की मौत कस्टडी में ही हो गई. जिसके बाद इलाके में तनाव है.

इन तीन लोगों की मौत के बाद सेना बयान जारी किया और कहा कि इस मामले में वह जांच करने के लिए तैयार हैं और भारतीय सेना जांच में पूरा सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है.

इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इन तीनों मृतकों के परिवार वालों को मुआवजा और नौकरी देने का भी ऐलान किया है. हालांकि अब तक इनकी मौत कैसे हुई इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है.

सेना पर टॉर्चर के आरोप 

एक तरफ इस घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल है वहीं दूसरी तरफ महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्लाह और उमर अब्दुल्लाह सहित तमाम बड़े नेता बीजेपी को घरने में लगी है

जम्मू कश्मीर के पूर्व महबूबा मुफ़्ती ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, “घात लगाकर किए हमले में पांच जवान मारे गए, तीन मासूम नागरिकों को सेना की हिरासत में टॉर्चर कर मार दिया गया, बहुत से लोग अब भी अस्पताल में जीवन की जंग लड़ रहे हैं और अब एक रिटायर्ड एसपी को मार दिया गया. भारत सरकार जिस सामान्य स्थिति का दिखावा करती है, उसको बनाए रखने के लिए निर्दोष लोग नुकसान उठा रहे हैं.”

मुफ्ती ये भी कहती हैं कि जम्मू-कश्मीर में हर जिंदगी खतरे में है और केंद्र सरकार हर मुद्दे को सिर्फ इसलिए दबा देना चाहती है क्योंकि यहां कि जो जमीनी हकीकत है वह उनके फर्जी नैरेटिव को खत्म कर देगा.”

महबूबा मुफ्ती के अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्लाह ने केंद्र सरकार से चरमपंथ की मूल वजह का पता लगाने को कहा है.

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