इंदौर। चुनाव की कार्रवाई खत्म होते ही अधिकारी और कर्मचारी अब विभागीय योजनाओं और कामों को अंजाम देने मे ंजुट गए हैं। चाइल्ड लाइन और एनजीओ ने मिलकर पश्चिम बंगाल और कोलकाता से सोने-चांदी के जेवर बनाने के लिए कारीगर के रूप मे लाए गए 6 बाल मजदूरों को मुक्त कराया है। देर रात तक चली कार्रवाई में आर्थिक शोषण की बात भी सामने आई है।
महिला एवं बालविकास विभाग, श्रम विभाग व चाइल्ड लाइन द्वारा कल सराफा क्षेत्र में बाल मजदूरों को मुक्त कराने के लिए सघन जांच अभियान छेड़ा गया। सोने-चांदी के गहने गढऩे वाले कारखानों पर सराफा थाना पुलिस के साथ एनजीओ के कार्यकर्ताओं ने दबिश दी तो 6 बाल मजदूर कई कारखानों में काम करते पाए गए। कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के राहुल गोठाने से प्राप्त जानकारी के अनुसार सराफा थाना क्षेत्र के अंतर्गत विभागीय कार्रवाई के दौरान पश्चिम बंगाल और कोलकाता के रहने वाले बच्चों से बाल मजदूरी करवाए जाने की शिकायत मिली थी, जिसके बाद गुपचुप दबिश दी गई और छह बच्चों को मुक्त कराया गया। बच्चों से मिली जानकारी के अनुसार सुबह 10 से रात 10 बजे तक ज्वेलरी बनाने का काम करवाया जा रहा है, जिसके एवज में प्रतिमाह उन्हें 5 से 6 हजार रुपए ही दिए जाते हैं। देर रात संस्था ने बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें संस्था में भर्ती कराया गया।
20 दिन तक चलेगी मुहिम
राष्ट्रीय बाल आयोग के निर्देश पर प्रत्येक जिले में बाल मजदूरों को मुक्त कराने के लिए मुहिम छेड़ी गई है। जिसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ कार्रवाई की जा रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार 20 दिन तक लगातार यह मुहिम विभिन्न क्षेत्रों में लगातार दबिश देगी। ज्ञात हो कि हाल ही में बाल कल्याण समिति ने बेग कारखाना के मालिकों को समझाईश दी थी, जिसके बाद 90 से अधिक बाल मजदूर बिहार की ओर पलायन कर गए थे, लेकिन अब भी कई ऐसे व्यवसायिक क्षेत्र है, जहां बच्चों से मजदूरी करवाई जा रही है। बाल संरक्षण पखवाड़े के तहत विभाग ने विभिन्न तरह के जागरूकता अभियान चलाने की सूची तैयार की है।
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