उज्जैन। एक ओर अधिकारी दिल्ली में उज्जैन को पाँचवां स्थान मिलने पर साफ शहर का अवार्ड ले रहे थे, वहीं दूसरी ओर शिप्रा नदी अपने ऊपर डाले गए कचरे के कारण आंसू बहा रही थी..कार्तिक पूर्णिमा पर कचरा इतना अधिक नदी में डाला गया कि नगर निगम की टीम उधर झांकने भी नहीं गई और पूरे घाट पर दीये, हारफूल, दोने, प्रसाद सामग्री, पूजन सामग्री के ढेर लगे थे तथा मछलियाँ मर रही थीं। शनिवार शाम से लेकर रात तक कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लोगों ने शिप्रा में दीनदान किया था। इसके पहले सुबह से कार्तिक पूर्णिमा का स्नान चल रहा था। 1 लाख से ज्यादा लोगों ने शिप्रा में डुबकियाँ लगाई थीं। इसके चलते रविवार सुबह शिप्रा में चारों ओर बुझे हुए दीपक, दोने, गंदगी सहित हारफूल और प्रसादी के ढेर तैरते नजर आ रहे थे। इधर कल रविवार को दिल्ली में नगर निगम प्रशासक और संभागायुक्त डॉ. संदीप यादव, निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता और निगम के अन्य अधिकारी दिल्ली में स्वच्छता सर्वेक्षण का अवार्ड ले रहे थे।
स्वच्छता में उज्जैन की रैंक सुधरी..पाँचवाँ स्थान मिला लेकिन सुलभ शौचालयों की स्थिति खराब और गंदगी
उल्लेखनीय है कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में 3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में कल शाम केटेगरी का वितरण किया गया जिसमें उज्जैन को पांचवा स्थान, कचरा मुक्त शहर की श्रेणी में 3 स्टार रैटिंग तथा वेस्ट सिटीजन फीडबेक सिटी श्रेणी में अवार्ड प्राप्त हुए। अवार्ड लेने के लिए दिल्ली में आयोजित अवार्ड फक्ंशन में नगर निगम के प्रशासक एवं संभागायुक्त संदीप यादव, पूर्व आयुक्त क्षितिज सिंघल, वर्तमान आयुक्त अंशुल गुप्ता और स्वच्छता उपायुक्त डॉ. कल्याणी पाण्डेय ने अवार्ड ग्रहण किया। इस पर निगम प्रशासक और निगमायुक्त ने शहरवासियों को बधाई दी है तथा सहयोग के लिए आभार जताया है। यहाँ सुलभ कॉम्पलेक्स साफ होंगे तभी शहर साफ माना जाएगा।
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