भोपाल। देश (India) के 88 शहरों (88 cities) में जहां 6,500 से ज्यादा ई-बसें (E-buses) चलाई जाएंगी, वहीं मध्यप्रदेश के इंदौर-भोपाल सहित 6 शहरों की सडक़ों पर भी 582 इलेक्ट्रिक बसें (electric buses) दौड़ती हुई नजर आएंगी।
इलेक्ट्रिक बसों के लिए म.प्र. के जिन शहरों को चुना गया है, उनमें राजधानी भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और सागर में 582 इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी। इनमें से 472 मिडी बसें 26 सीटर होंगी, वहीं 21 सीटर 110 मिनी बस भी होंगी। इंदौर को 150 और सागर को 50 बसें दी जाएंगी। बाकी शहरों को 100-100 बसें दी जाएंगी।
2 रुपए प्रति किमी होगा किराया
फिलहाल बसों के लिए यात्री किराया तय नहीं हुआ है। सूत्रों के मुताबिक किराया लो रहने वाला है, ताकि अधिक से अधिक लोग सफर कर सकें। इसके साथ ही कहा जा रहा है कि बसों का किराया 2 रुपए प्रति किमी रहने की उम्मीद है।
6 शहरों में 2 चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे
6 शहरों में ई-बसों की चार्जिंग के लिए 9 चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। इनकी लागत करीब 60 करोड़ रुपए आएगी। इसके खर्च का वहन भी केंद्र सरकार ही करेगी। इंदौर, भोपाल और ग्वालियर में दो-दो चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। इसके लिए 41 किमी लंबी हाईटेंशन लाइन बिछाई जाएगी।
ये होगी खासियत
इलेक्ट्रिक बसें होने के कारण ईको-फ्रेंडली होंगी, जो प्रदूषण नहीं फैलाएंगी। यात्रियों की सुरक्षा के लिए बसों में 5 सर्विलांस कैमरे लगाए जाएंगे। बस के दरवाजे के पास पैसेंजर काउंटिंग मशीन लगाई जाएगी। बसों में दिव्यांगों के लिए ऐसी व्यवस्था की गई है कि उन्हें चढऩा और उतरना आसान हो और व्हीलचेयर भी ले जाई जा सके।
कैसे होगा बसों का संचालन
ई-बसों का संचालन जीसीसी (ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर) मॉडल के तहत किया जाएगा। संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी ग्रीन सेल मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड उठाएगी और केंद्र सरकार 12 साल तक के लिए मेंटेनेंस देगी। ड्राइवर, कंडक्टर और मेंटेनेंस की पूरी जिम्मेदारी कंपनी उठाएगी। इसके अलावा कंपनी 58.14 प्रतिशत, केंद्र 22 प्रतिशत और शेष पैसों का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।
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